केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 2012 निर्भया गैंगरेप मामले को लेकर शुक्रवार को आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा। स्मृति ईरानी ने कहा कि जुलाई 2018 में समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद केजरीवाल सरकार के तहत आने वाला जेल विभाग इस मामले पर सो रहा था? इस मामले में दोषी किशोर को बाल सुधार गृह से रिहा होने के बाद सरकार ने उसे दस हजार रुपये और सिलाई मशीन किट क्यों दी? क्या उन्होंने निर्भया की मां के आंसू नहीं देखे?

वहीं निर्भया सामूहिक दुष्कर्म केस में दोषी मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। इसके साथ ही अब दोषी मुकेश के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं।
हालांकि आज पटियाला हाउस कोर्ट में फांसी पर रोक लगाने वाली उसकी याचिका पर सुनवाई है, जिसके बाद ही मुकेश की फांसी पर कुछ कहा जा सकता है। गौरतलब है कि 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने ही दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया था। इसके अनुसार निर्भया के चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी होनी है।
बता दें कि निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में फांसी की तारीख आने के बाद भी नियम-कानून के चलते दोषियों की फांसी में हो रही देरी की वजह से निर्भया की मां काफी परेशान हैं। शुक्रवार एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में वह फूट-फूटकर रोने लगीं।
इस मामले में जिस तरह गुरुवार को भाजपा और आम आदमी पार्टी ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए उससे निर्भया की मां आशा देवी बहुत आहत हैं। उन्होंने कहा कि इतने साल तक मैं राजनीति पर कभी नहीं बोली, लेकिन आज कहती हूं कि जिस तरह मेरी बच्ची की मौत पर राजनीति हो रही है वह ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि अब मैं जरूर कहना चाहूंगी कि जब 2012 में घटना हुई तब इन्हीं लोगों ने हाथ में तिरंगा लिया और काली पट्टी बांधी, खूब रैलियां कीं, खूब नारे लगाए। लेकिन आज यही लोग उस बच्ची की मौत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कोई कह रहा आप ने रोक दिया, कोई कह रहा है मुझे पुलिस दे दीजिए दो दिन में रोक के दिखाऊंगा।
आशा देवी ने कहा कि अब मैं जरूर कहना चाहूंगी कि ये अपने फायदे के लिए दोषियों की फांसी को रोके हैं। हमें बीच में मोहरा बनाया, इन दोनों के बीच में मैं फंसी हूं।
मैं खासकर प्रधानमंत्री जी से कहना चाहती हूं कि आपने 2014 में बोला था, ‘बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार’। मैं साहब आपसे हाथ जोड़कर कहना चाहती हूं कि जिस तरह से आप दोबारा सरकार में आए हैं, जिस तरह से आपने हजारों काम किए। इस कानून का संशोधन कीजिए क्योंकि कानून बनाने से नहीं होगा।
मैं आपसे हाथ जोड़कर कहना चाहती हूं कि एक बच्ची की मौत के साथ मजाक मत होने दीजिए, उन दोषियों को 22 जनवरी को फांसी पर लटकाइए और देश को दिखाइए कि हम देश के रखवाले हैं, महिला की सुरक्षा करने वाले हैं।
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