कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने उच्चतम न्यायालय में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के खिलाफ याचिका दाखिल की है। उन्होंने इस अधिनियम की वैधता को अदालत में चुनौती दी है। कांग्रेस ने संसद में ही अधिनियम को शीर्ष अदालत में चुनौती देने का संकेत दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि वह इस मामले को अदालत लेकर जाएंगे। जिसका जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि संसद को मत डराइये कि उसके अधिकार क्षेत्र में कोई अदालत घुस जाएगी।
राज्यसभा से नागरिकता अधिनियम को बुधवार को मंजूरी मिली थी और गुरुवार को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने इसकी वैधता को लेकर उच्चतम न्यायालय में पहली याचिका दायर की। लीग का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है। उसने अदालत से विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल मुस्लिम लीग की तरफ से अदालत में केस लड़ेंगे।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की वैधता के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को याचिका दाखिल की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे की पीठ ने इसपर जल्दी सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने वकील से कहा है कि वह उल्लेख करने वाले अधिकारी के सामने इस मामले का उल्लेख करें।