New Delhi: कानपुर के बर्रा विश्वबैंक में रहने वाले डॉ. एस अहमद मियां हिंदू-मुस्लिम एकता और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश कर रहे हैं। ये मुस्लिम परिवार पिछले 29 सालों से श्रीकृष्ण का भक्त है। इनके घर में लोगों के दिन की शुरुआत पूजा-पाठ से होती है तो शाम को आरती और मंत्रोच्चार की आवाज गूंजती है। उनका कहना है कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है।PM मोदी ने लड्डू खिलाकर किया अमित शाह का स्वागत, पार्टी सांसदों को दी नसीहत
डॉ. एस अहमद का कहना है कि बाराबंकी की एक मजार से उन्हें ये प्रेरणा मिली है। वहां पर आज भी हिंदू-मुस्लिम एक साथ इबादत करते हैं। इसके बाद से वे भी हर साल कान्हा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाने लगे। यही नहीं, आसपास के लोग भी इस उत्सव में शामिल होते हैं और उनकी इस पहल की सराहना करते हैं।
डॉ. अहमद बताते हैं कि वे मूल रूप से बाराबंकी के रहने वाले हैं। वहां पर देवाशरीफ हजरत वारिशताख की दरगाह है, जहां हर मजहब के लोग आते हैं। ऐसे में काकादेव में रहने वाले उनके दोस्त रामशरण दुबे ने उन्हें एक सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि क्यों न हिंदू-मुस्लिम एकता की ये मिसाल लोगों के सामने लेकर आया जाए। इसके बाद अहमद ने श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना शुरू कर दी। सालों से ये सिलसिला यूं ही चला आ रहा है।
डॉ. अहमद और उनके परिवार को शुरुआत में कट्टरपंथियों के विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद वे डरे नहीं और पिछले 29 सालों से लगातार कृष्ण भक्त हैं। घर में खूबसूरत झांकी सजाई जाती है। यही नहीं, कृष्ण के सभी स्वरूप उनके घर में देखे जा सकते हैं। वहीं, डॉ. अहमद के पड़ोसी उनकी पहल की सराहना करते हैं।