अभी लोग गीले और सूखे कचरे के साथ प्लास्टिक का सामान भी कूड़े में फेंक देते हैं। सफाई कर्मी कूड़ा उठाते समय उसे अलग नहीं करते और गाड़ी में लाद देते हैं। कचरा ट्रकों से बसवार प्लांट पहुंच जाता है। वहां प्लास्टिक कचरे को अलग करने में परेशानी होती है। इससे कूड़ा निस्तारण की प्रक्रिया भी बाधित होती है। इसलिए नगर निगम लोगों से प्लास्टिक कचरा अलग से लेने की तैयारी कर रहा है। इसके बदले में उन्हें पैसा भी दिया जाएगा। इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रानिक कचरे को भी अलग से लेने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए एक एजेंसी भी आई है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल लगातार निगम को इसके लिए फटकार लगा रही
शहर से रोजाना औसत 400 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। बसवार प्लांट में निस्तारण न होने के कारण लगभग एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा डंप है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल लगातार निगम को इसके लिए फटकार रही है। इसलिए अब प्लास्टिक कचरे को अलग से लेने की तैयारी है। नगर निगम प्लास्टिक के बदले में लोगों को पैसे भी देगा। इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रानिक कचरे को भी अलग से लेने की तैयारी चल रही है।
विशेष बातें
-400 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है रोजाना शहर से
-500 से अधिक छोटी-बड़ी गाडिय़ों से कचरा होता है इकट्ठा
-27 पोर्ट स्टेशन पर कचरा डाला जाता है कंप्रेशर में
-01 लाख मीट्रिक कचरा डंप पड़ा है बसवार प्लांट में ।
बोले नगर आयुक्त
नगर आयुक्त रवि रंजन का कहना है कि हमारी कोशिश है कि शहर से निकलने वाले पूरे कचरे का निस्तारण हो। चाहे वह गीला, सूखा, प्लास्टिक और ई-कचरा हो। इसके लिए एजेंसी की तलाश चल रही है। एक कंपनी ने यह काम करने की इच्छा जाहिर की है।