गीता जयंती कार्यक्रमों के समापन अवसर पर पवित्र ब्रह्मसरोवर तट पर सोमवार देर रात शंखनाद और मंत्रोच्चारण के बीच विराट महाआरती की गई। मुख्यमंत्री नायब सैनी, आरएसएस के राष्ट्रीय प्रचारक इंद्रेश, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, पर्यटन मंत्री डाॅ. अरविंद शर्मा, आरएसएस के प्रांत प्रचारक सुरेंद्र, पूर्व मंत्री सुभाष सुधा ने ब्रह्मसरोवर पर गीता महापूजन व महाआरती की। आरती का मंत्रोच्चारण बलराम गौतम ने करवाया।
इससे पहले पवित्र ग्रंथ गीता के श्लोक का उच्चारण शुरू हो गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की ही भूमि पर महाभारत के युद्ध के बीच एक ऐसा शांति का संदेश दिया जो आज गीता उपदेश नाम से पूरे विश्व को प्रकाशमय कर रहा है। इस पवित्र ग्रंथ गीता में जीवन जीने का सार वर्णित किया गया है। इस महाभारत के बीच शांति का संदेश देना किसी भी इतिहास में नजर नहीं आया है। उन्होंने कहा कि महोत्सव के कार्यक्रमों को ऑनलाइन प्रणाली से देश-विदेश तक पहुंचाया गया। इस महोत्सव के संत सम्मेलन, वैश्विक गीता पाठ और दीपोत्सव बेहतरीन कार्यक्रम रहे।
दीपदान के साथ गीता महोत्सव संपन्न, सरस व शिल्प मेला 5 तक रहेगा
महाआरती की संध्या में दीपोत्सव मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। दीपोत्सव में सन्निहित सरोवर के पावन तट पर हजारों दीपक रोशन हुए। वहीं कुरुक्षेत्र और 48 कोस के तीर्थ स्थलों को भी दीपोत्सव से रोशन किया गया। सांध्यकालीन महाआरती के तुरंत बाद ब्रह्मसरोवर के तट से रंग-बिरंगे हिंडोले छोड़े गए। इन हिंडोलों से निकलने वाली रोशनी ने ब्रह्मसरोवर की फिजा को रंगीन कर दिया। इस महोत्सव के मुख्य कार्यक्रमों का समापन हो चुका है लेकिन महोत्सव का सरस व शिल्प मेला 5 दिसंबर तक जारी रहेगा।
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