नए कृषि कानूनों को लेकर सिंघु बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन 23 दिन से जारी है। ठंड का प्रकोप भी किसानों की हिम्मत को टस से मस नहीं कर पा रहा है। बॉर्डर पर बढ़ती शीत लहर को देखते हुए किसानों ने प्रदर्शन की व्यवस्था बदल दी है। सुबह से लेकर दोपहर तक के प्रदर्शन का जिम्मा अब बुजुर्ग किसानों के पास है। वहीं, शाम और रात को नौजवानों ने मोर्चा संभाल लिया है।

प्रदर्शन में शामिल होने आए कुछ लोग किसानों के हक की बातों को पहुंचाने के लिए हिंदी और पंजाबी भाषाओं में अखबार और पैम्फलेट भी बांट रहे हैं। किसान समर्थक लोगों ने अखबार का नाम ट्रॉली टाइम्स दिया है।
ऐसे तो प्रदर्शन स्थल पर सुबह 4 बजे से ही लोग अपने कामों में जुट जाते हैं, लेकिन दस बजे के बाद प्रदर्शन स्थल पर किसान जुटना शुरू हो जाते हैं। इसके बाद बुजुर्ग किसान नेता मंच से लोगों को संबोधित करते हैं। ये सिलसिला दोपहर दो से तीन बजे तक लगातार चलता रहता है। शाम को कीर्तन के बाद ये मोर्चा नौजवान किसान संभाल लेते हैं। रात 10 बजे तक युवा किसान केंद्र सरकार पर हमलावर होते हैं।
किसान नेता सुखविंदर ने मीडिया को बताया कि ठंड के प्रकोप को देखते हुए हमने प्रदर्शन स्थल की व्यवस्था थोड़ी बदल दी है। पहले बुजुर्ग किसान नेता ही मंच पर किसानों को संबोधित करते थे। लेकिन अब सुबह और दोपहर के दौर में बुजुर्ग किसान आगे रहते हैं। शाम के वक्त युवा किसान शामिल होते हैं। ऐसे में सभी लोगों को अपनी बातें किसानों तक पहुंचाने का मौका मिल रहा है। वहीं युवा लोगों को भी बुजुर्गों का मागदर्शन हासिल हो रहा है।
शुरुआती दौर में किसान केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोल रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे किसान अब प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोल रहे हैं। प्रदर्शन स्थल से प्रधानमंत्री मोदी, अंबानी और अडानी के सांठगांठ के नारे लगाए जा रहे हैं।
इधर, किसानों की बात लोगों तक पहुंचाने के लिए कुछ लोगों ने प्रदर्शन स्थल पर अखबार और पैम्फलेट वितरित करना भी शुरू कर दिया है। ट्रॉली टाइम्स नाम से निकाले जा रहे इस चार पेज के अखबार में किसानों की दिनचर्या, किसान नेताओं के इंटरव्यू और प्रदर्शन में शामिल होने आए किसानों के किस्से छापे जा रहे हैं। हिंदी और पंजाबी भाषा में प्रकाशित हो रहे अखबार में देशभर में किसान आंदोलन से जुड़ी हर अपडेट भी होती है।
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