मोदी सरकार बजट को पेश करने की तैयारियों में जुट गई है. बजट में आम आदमी को क्या तोहफे मिल सकते हैं, इसको लेकर कयास लगाए जाने शुरू हो गए हैं. इस बीच ये भी उम्मीद जताई जा रही है कि ये बजट कृषि पर फोकस होगा. पिछले कुछ समय से कृषि काफी बुरे दौर से गुजर रही है. ऐसे में मोदी सरकार का फोकस कृषि की हालत सुधारने के साथ ही 2022 तक किसानों की आय दुगुना करने के अपने वादे की तरफ बढ़ने पर हो सकता है.
मनरेगा का बढ़ सकता है फंड
डच बैंक ने भी इसी तरफ इशारा करते हुए कहा है कि सरकार का फोकस इस बार कृषि के क्षेत्र में सुधार करने पर होगा. बैंक ने उम्मीद जताई है कि सरकार इस बजट में मनरेगा के लिए फंड में बढ़ोतरी कर सकती है. इसके साथ ही किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने समेत कई उपाय इस बजट में किए जा सकते हैं.
एसोचैम की हिदायत, कृषि पर हो ज्यादा फोकस
इससे पहले इंडस्ट्री बॉडी एसोचैम भी सरकार को हिदायत दे चुकी है कि उसे इस बजट में कृषि पर ज्यादा फोकस करना चाहिए. एसोचैम की ये बात इसलिए भी अहम है क्योंकि मौजूदा समय में न कृषि और न ही किसान के हालात अच्छे हैं. कृषि देश की जीडीपी में करीब 17 फीसदी की हिस्सेदारी रखती है. यह सेक्टर 50 फीसदी वर्कफोर्स को रोजगार देता है, लेकिन बेमौसम बारिश, कर्ज का बोझ, कम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और बाजार तंत्र ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है.
कृषि निर्यात को बढ़ावा देगी सरकार?
वर्ष 2016-17 में कृषि निर्यात गिरा है. 2013-14 के 43.23 अरब डॉलर के निर्यात के मुकाबले यह गिरकर 33.87 अरब डॉलर पर आ गया है. दूसरी तरफ कृषि आयात लगातार बढ़ता जा रहा है. 2013-14 में यह 15.03 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2016-17 में 25.09 अरब डॉलर हो गया है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए नई घोषणाएं कर सकती है. ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि जब भी निर्यात बढ़ता है, तो कृषि उत्पादों की कीमतें नियंत्रण में रहती हैं और इसका किसानों का फायदा मिलता है.
किसानों की दुगुनी आय का वादा
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट है. ऐसे में मोदी सरकार किसानों की इनकम दुगुनी करने के लिए कई उपाय बजट में कर सकती है. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के मुताबिक भारत में किसान परिवार की औसत आय 6426 रुपये है.
किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकार ने जो कमेटी बनाई है, उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि किसानों की आय हर साल 10.41 फीसदी बढ़ाने के लिए निजी निवेश में 7.86 फीसदी की बढ़त होनी जरूरी है. ऐसे में सरकार कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दे सकती है. इसके साथ ही वजह किसानों के लोन को लेकर भी अहम घोषणा कर सकती है.
हो सकती हैं ये अहम घोषणाएं
इस बजट में किसानों की आय बढ़ाने और बुरे दौर से गुजर रहे कृषि क्षेत्र को सहारा देने के लिए नीचे दिए गए कुछ फैसले सरकार ले सकती है.
– डच बैंक के मुताबिक सरकार मनरेगा का बजट बढ़ा सकती है.
– बाजार में किसानों को उनके उत्पाद की सही कीमत नहीं मिलती है. बेहतर कीमत के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति में बदलाव कर सकती है.
– किसानों की आय दुगुनी करनी है, तो निजी निवेश को बढ़ावा देना होगा. इसके लिए सरकार कृषि से जुड़ी इंडस्ट्री में निजी निवेश को बढ़ावा दे सकती है.
– कर्ज के बोझ तले दब रहे किसानों को भी राहत दी जा सकती है. उन्हें सरकार या तो पहले लिए गए कर्ज में कुछ राहत की घोषणा कर सकती है या फिर वह कम ब्याज दर पर लोन देने की व्यवस्था कर सकती है.
पिछले बजट में कृषि के लिए हुई थी ये घोषणाएं
– पिछले बजट में सरकार ने फसल बीमा के लिए 9 हजार करोड़ रुपये दिए थे. यह 2016-17 के 5500 करोड़ के बजटीय आवंटन से ज्यादा था.
– कृषि ऋण वितरण के लिए 10 खरब का टारगेट रखा गया था. 2016-17 में यह टारगेट 9 खरब का था.
– नाबार्ड के तहत दीर्घकालिक सिंचाई फंड के लिए 20 हजार करोड़ रुपये दिए गए थे. वहीं, सूक्ष्म सिंचाई निधि फंड की स्थापना के लिए 5 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.
– नाबार्ड को इसके अलावा 8000 करोड़ डेयरी विकास फंड के लिए दिए गए थे.
– कृषि विज्ञान केंद्रों में मिट्टी की जांच के लिए प्रयोगशाला शुरू करने की खातिर ग्रामीण कारोबारियों को सहयोग देने की बात भी कही गई थी.
– को-ऑपरेटिव बैंकों को मुख्य बैंकों के साथ खड़ा करने के लिए 1900 करोड़ रुपये का सहयोग दिया गया था.
– ग्रामीण और कृषि क्षेत्र को कुल सहयोग 1.87 खरब का दिया गया. यह पिछले बजट के मुकाबले 24 फीसदी ज्यादा था.
ऐसे में अब ये देखना होगा कि सरकार इस साल बजट में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को कितना फंड आवंटित करती है और किसानों की आय दुगुना करने के लिए क्या-क्या घोषणाएं करती है.