संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के बयान को किसानों का अपमान बताते हुए इसकी निंदा की है। मोर्चा के डॉ. दर्शनपाल ने याद दिलाते हुए कहा कि भारत को औपनिवेशिक शासकों से मुक्त करवाने वाले भी आंदोलनजीवी ही थे। इसलिए किसानों को आंदोलनजीवी होने पर गर्व भी है।
सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए मोर्चा ने कहा है भाजपा पहले से ही जन आंदोलनों के खिलाफ रही है, इसलिए अभी भी इससे दूरी बनाए हुए है। अगर सरकार अभी भी किसानों की मांगों को स्वीकार कर लेती है तो किसान वापस लौटकर खेती करते हुए खुद को अधिक खुश महसूस करेंगे। मोर्चा का आरोप है कि सरकार के अड़ियल रवैया के कारण ही आंदोलन लंबा खिंच रहा है। इससे आंदोलनजीवी पैदा हो रहे हैं।
डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि एमएसपी पर महज बयानों से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। पहले भी इस तरह की कोशिशें की गईं। किसानों की मांग है कि समान रूप से सभी फसलों पर एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी मिले। किसी तरह के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का संयुक्त किसान मोर्चा विरोध करता है।
सरकार का एफडीआई दृष्टिकोण भी खतरनाक है और इससे किसान खुद को दूर रखना चाहते हैं। हालांकि मोर्चा रचनात्मक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के साथ खड़ा है। कहीं भी होने वाला अन्याय हर जगह के न्याय के लिए खतरा है।
मोर्चा ने किसानों की मांगों पर गंभीरता और ईमानदारी से हल करने में सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया है। किसान संगठनों को ड्राफ्ट बिल वापस लेने का भरोसा दिए जाने के बावजूद सरकार की ओर से विद्युत संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में किसान महापंचायतों से मिले समर्थन से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों में उत्साह बढ़ा है। आने वाले दिनों में महापंचायतों से किसान दिल्ली के धरनों में भी शामिल होंगे।
ट्विटर अकाउंट के बाद किसान आन्दोलन से संबंधित कई वीडियो यू ट्यूब से भी हटा दिए गए हैं। लोगों की आवाज को दबाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का संयुक्त किसान मोर्चा ने विरोध जताया है।