बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर कई आंदोलन का बिगुल फूंककर कांग्रेस के सामने मुसीबत खड़ी करने वाले शिवराज सिंह चौहान 15 साल की सत्ता जाने के बाद इन दिनों एंग्री मैन की भूमिका में नजर आ रहे हैं. उन्होंने 14 फरवरी को अपने गृह जिले सीहोर में किसान आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है. यहां वे हजारों किसानों के साथ ओलावृष्टि के दौरान बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे की मांग कर रहे हैं. 
सरकार पर लगाया नजरअंदाजी का आरोप
किसानों के साथ धरना प्रदर्शन पर बैठे शिवराज सिंह चौहान ने राज्य की सत्तासीना कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए है कहा कि वह उनके आंदोलन की नजरअंदाजी कर रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस आंदोलन के दौरान शिवराज सिंह चौहान किसानों की कर्ज मांफी समेत कई सारे मुद्दों को उठा सकते हैं.
पहले से दिया था न्योता
सीहोर जिले में आंदोलन को ज्यादा से ज्यादा बड़ा किया जा सके इसके लिए शिवराज ने अपने इलाके में घूमकर पहले ही किसानों को न्योता दिया था. राजनैतिक विश्लेषकों की इस आंदोलन पर गहरी नजर है. वो इसलिए कि सत्ता खोने के बाद लगातार शिवराज की पार्टी में नजरअंदाजी की खबरें सुर्खियां बन रही हैं.
बीजेपी ने आरोप लगाया कि ओला पाला को लेकर सरकार ने कोई काम नहीं किया है. किसानों को सर्वे भी नहीं हुए हैं. शिवराज का कहना है कि बीजेपी सरकार होती तो अब तक मुआवजा बांटने की प्रक्रिया का निर्धारण हो चुका होता. बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि अब तक कांग्रेस सरकार ने सर्वे शुरू नहीं किया. इसलिए इस बात की उम्मीद कम ही है कि लोकसभा चुनाव के पहले किसानों के खाते में कोई राशि आ पाएगी.
अपनी जमीन की तलाश कर रहे शिवराज
शिवराज सरकार के दौरान किसान आंदोलन के प्रणेता रहे और आरएसएस के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष रहे शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने इस नाकारा आंदोलन कहा है. उन्होंने कहा कि किसानों ने बीजेपी को नकार दिया है, जिस कारण शिवराज यह आंदोलन कर अपनी जमीन की तलाश कर रहे हैं.
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