किन्नर जिसे आज भी हमारे देश में समान दर्जा नहीं दिया गया है. किन्नरों को आज भी देश में नीची निगाहो से देखा जाता है. किन्नर का इतिहास आज से करीब 4 हजार साल पुराना है. किन्नर को आज भी हमारे समाज में नीचा स्थान दे रखा है. वैसे तो किन्नर हिन्दू धर्म निभाते है लेकिन उनके गुरु हमेशा ही मुस्लिम धर्म के होते है. आज हम आपको किन्नरों से जुड़ी कुछ खास बाते बता रहे है-
जब भी किन्नरों के समूह में कोई नया किन्नर आता है तो उसका बहुत ही भव्य तरीके से स्वागत किया जाता है. उसके लिए नाच-गाने के साथ-साथ खास दावत का भी इंतजाम किया जाता है.
क्या आपको पता है किन्नरों की शादी भी होती है. लेकिन ये शादी सिर्फ एक ही दिन के लिए होती है. जी हाँ… किन्नरों की शादी उनके ही भगवान अरावन से होती है. लेकिन ये शादी सिर्फ एक ही दिन के लिए मान्य रहती है.
ऐसे तो किन्नर बहुत खुश दीखते है लेकिन असली जिंदगी में अगर उनकी जिंदगी के बारे में जानने की कोशिश की जाए तो ये किन्नर बहुत दुखी होती है. ये लोग अपनी देवी बरुचा माता से माफ़ी मांगते है और उनसे ये बोलते है कि अगले जन्म उन्हें कभी किन्नर ना बनाए.
साल में एक बार किन्नर फेस्टिवल भी मनाया जाता है. ये फेस्टिवल मद्रास से 200 मील दूर कूवगम गांव में होता है जहां सभी किन्नर जश्न मनाते है.