कानपुर: कागजों में बंद, हकीकत में चल रहीं टेनरियां, सीपीसीबी की जांच में हुआ बड़ा खुलासा

कानपुर के जाजमऊ क्षेत्र की टेनरियां कागजों पर ही बंद है, पर हकीकत में चल रही हैं। बुधवार को कॉमन क्रोम इफ्लुएंट प्लांट (सीईटीपी) में दो करोड़ लीटर टेनरी वेस्ट जाता मिला तो यह खुलासा हुआ। यह खुलासा दिल्ली से आई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की टीम की जांच में हुआ। जांच का पता चलते ही टेनरियां बंद कर दी गईं और आधे घंटे में बहाव कम हो गया। टीम गुरुवार सुबह तक प्रत्येक घंटे टेनरी वेस्ट के नमूने लेगी।

सीपीसीबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर पाटिल, परवेज सहित तीन अधिकारी सुबह वाजिदपुर (जाजमऊ) स्थित सीईटीपी पहुंचे। प्लांट में कार्यरत केमिस्ट अजय कनौजिया के साथ प्लांट में टेनरियों से आ रहे जहरीले पानी (टेनरी वेस्ट) का बहाव देखा तो अवाक रह गए। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक घनश्याम द्विवेदी भी वहां पहुंचे।

परियोजना प्रबंधक ने बताया कि सुबह जांच शुरू करते समय प्लांट में 20 एमएलडी (2 करोड़ लीटर डेली) के औसत से टेनरी वेस्ट आ रहा था। उसी समय टीम ने पहला नमूना लिया। इसी बीच जांच का पता चलते ही तमाम संचालकों ने टेनरियां बंद कर दीं। आधे घंटे बाद ही बहाव औसतन 4 एमएलडी रह गया, पर एक घंटे बाद पुन: बढ़कर 10 एमएलडी के औसत स्तर पर पहुंच गया।

इस प्लांट की टेनरी वेस्ट शोधन क्षमता रोज दो करोड़ लीटर है। केमिस्ट अजय कनौजिया ने बताया कि टीम 24 घंटे तक प्रत्येक घंटे सीईटीपी में आ रहे टेनरी वेस्ट के नमूने ले रही है। 28 को सुबह तक 24 नमूने पूरे होंगेे।

टेनरी संचालकों ने किया विरोध
जांच के दौरान पोल खुलने पर तमाम टेनरी संचालकों ने प्लांट में पहुंचकर जांच का विरोध किया। वे गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अफसरों की लापरवाही से टेनरी वेस्ट वाले चैनल (नाले) में सीवेज आने का आरोप लगा रहे थे। 

कुंभ से पहले आता था इतना वेस्ट
जिला प्रशासन जाजमऊ क्षेत्र में मात्र 26 टेनरियां चलने और अन्य सभी टेनरियां बंद होने का दावा कर रहा है। जबकि हकीकत यह है कि कुंभ से पहले जब 260 टेनरियां चलती थीं, तब सीईटीपी में रोज दो करोड़ लीटर टेनरी वेस्ट पहुंचता था। बुधवार को भी जांच में इसी औसत से जहरीला पानी आता नजर आया। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने भी कई ऐसी टेनरियां चलने का दावा किया, जो कागजों में बंद हैं। कुंभ से पहले जिला प्रशासन के नेतृत्व में बनी टीमें टेनरियों की जांच करती थीं, पर कुंभ के बाद यह जांच ठंडे बस्ते में पड़ गई है।

सीपीसीबी हर हफ्ते मंगलवार या बुधवार को जाजमऊ के नालों के पानी की सैंपलिंग करेगा। इसके लिए अलग-अलग टीमें आएंगी। ये टीमें जांच कर रिपोर्ट सीपीसीबी को सौंपेंगी। बोर्ड एनजीटी को जानकारी देगा।

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