राजस्थान निवासी हेड कांस्टेबल सुरेंद्र सिंह को आखिर 10 साल बाद इंसाफ मिल ही गया। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ को उसकी सेवाएं बहाल करने केआदेश जारी कर दिए हैं।

याची ने बताया कि 2009 में उसे जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के शिव मंदिर कैंप में उसके वरिष्ठ साथी को गोली मारकर हत्या करने के आरोप में सीआरपीएफ ने उसे बर्खास्त कर दिया था।
जब ट्रायल चला तो ट्रायल कोर्ट में चश्मदीद के बयान से मुकर जाने के बाद कोर्ट ने 2013 में उसे बरी कर दिया था। सीआरपीएफ ने उसी गवाहों व सबूतों के आधार पर विभागीय कार्रवाई में उसे दोषी माना था और नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।
हाईकोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से दलील रखी गई जिसके बाद हाईकोर्ट ने याची के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने याची को बरी किया जिस पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट भी अपनी मुहर लगा चुका है।
सीआरपीएफ के सामने भी वही सबूत थे जो ट्रायल कोर्ट के सामने। बरी होने का हर मामला सम्मानजनक बरी होना होता है। इसकेलिए कोई और परिभाषा नहीं है। ऐसे में याची को नौकरी में बहाल किया जाए। हालांकि याची इन दस वर्ष के वेतन के लिए हकदार नहीं होगा लेकिन वरिष्ठता सहित अन्य लाभ उसे मिलेंगे।
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