राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच तालमेल बैठाने की पार्टी हाईकमान की कोशिश फिलहाल असर नहीं दिखा पा रही है. सचिन पायलट ने एक बार फिर निशाना साधाते हुए कांग्रेस हाईकमान को याद दिलाया कि राजस्थान में जब उन्होंने कांग्रेस की कमान संभाली थी तब कांग्रेस महज 21 विधायकों पर सिमटी हुई थी.
पायलट ने पार्टी को याद दिलाया कि जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत की वजह से पार्टी सत्ता में आई अब उनका सम्मान करें. उन्हें राजनीतिक नियुक्तियों से नवाजें. पायलट कहा कि दो साल बीत चुके और कार्यकर्ता इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उम्मीद है पार्टी इस माह नियुक्तियां देगी.
इतना ही नहीं सचिन पायलट ने एक बार फिर उस कमेटी को जिंदा कर दिया जिसे कांग्रेस नेता अहमद पटेल के निधन के बाद दफन माना जा रहा था. दरअसल पायलट खेमे की वापसी के वक्त कांग्रेस नेतृत्व ने सचिन पायलट की शिकायतों के समाधान के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में अहमद पटेल, संगठन महासचिव वेणुगोपाल और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन को शामिल किया गया था. पायलट ने कहा कि भले ही अहमद पटेल न रहे हैं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि कमेटी जल्दी ही अपनी रिपोर्ट देगी और कांग्रेस नेतृत्व रिपोर्ट के मुताबिक ही कार्रवाई करेगा.
संगठन महासचिव वेणुगोपाल का दो दिन पहले जयपुर आना भी चर्चा का विषय रहा. पायलट ने कहा कि वेणुगोपाल से संगठनात्मक विषयों पर चर्चा हुई. दरअसल वेणुगोपाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट दोनों से मिले थे. माना जा रहा है कि सचिन पायलट अब पार्टी नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं कि वह उनके समर्थक नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाये और उन्हें राजनीतिक नियुक्तियां दी जाये.
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत न मंत्रिमंडल में और न ही राजनीतिक नियुक्तियों में पायलट खेमे को तरजीह देने को तैयार हैं. कांग्रेस की सियासत पर नजर रखने वाले राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि इसी टकराव के चलते राजनतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार को किसी ने किसी बहाने टाला जा रहा है. हालांकि कांग्रेस ने इस बीच पीसीसी की नई टीम बना दी. उसमें पायलट समर्थकों को भी जगह दी गई.
पायलट अब पीसीसी के भी विस्तार की उम्मीद कर रहे हैं जिससे वे अपने और समर्थकों को उसमें जगह दिला सकें. पायलट ने दबाब बनाने के लिए जिलों के दौरे भी शुरू कर दिये हैं. दो दिन पहले टोंक का दौरा किया और अब सीकर का. टोंक के दौरे के दौरान पायलट की बैलगाड़ी यात्रा चर्चित रही. दरअसल पायलट इन दौरों से भी पार्टी नेतृत्व पर दबाब बनाना चाहते हैं कि राजस्थान में वे अब भी लोकप्रिय हैं.