उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की वेबसाइट पर एसईओ (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) पॉइजनिंग अटैक हो गया है। इस बार वायरस एआई इनेबल होने के कारण ज्यादा घातक है। मामले में केंद्रीय साइबर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) का अलर्ट आने के बाद सर्ट-उत्तराखंड की टीम ने इस वेबसाइट को क्वारंटीन कर दिया है।
कर्मकार बोर्ड की वेबसाइट ukbocw.uk.gov.in के माध्यम से प्रदेशभर में चार लाख से अधिक श्रमिकों को सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जाता है। पिछले दिनों विभाग ने वेबसाइट को अत्याधुनिक तकनीकी से लैस किया था। लेकिन इन दिनों एसईआर पॉइजनिंग अटैक के कारण वेबसाइट बंद पड़ी है। सूत्रों के मुताबिक, देशभर में ज्यादातर वह सरकारी वेबसाइट हमले की जद में आई हैं, जो क्लाउड आधारित संचालित हो रही थीं। श्रम विभाग की वेबसाइट भी क्लाउड पर थी, जहां से यह वायरस घुसा है।
आईटी विभाग के विशेषज्ञ दूसरी मशीन पर वेबसाइट को रिबिल्ड करेंगे
सर्ट इन ने उन सभी राज्यों को अलर्ट दिया है, जिनकी वेबसाइट इसकी चपेट में आई हैं। सर्ट उत्तराखंड की टीम ने वेबसाइट को एहतियात के तौर पर बंद करते हुए क्वारंटीन कर दी है। इसका सिक्योरिटी ऑडिट किया जा रहा है। क्वारंटीन इसलिए किया गया है कि इसके भीतर घुसे वायरस का असर दूसरी जगहों पर न होने पाए। अब आईटी विभाग के विशेषज्ञ दूसरी मशीन पर वेबसाइट को रिबिल्ड करेंगे। इसमें अभी कुछ समय और लग सकता है।
आईटीडीए के माध्यम से जो भी सूचना मिली थी, उसमें कुछ तकनीकी बिंदु बताए गए थे। उस हिसाब से आईटीआई हैदराबाद की टीम वेबसाइट की दिक्कतें दूर कर रही है। एक-दो दिन में सुचारू हो जाएगी। -पीसी दुमका, श्रमायुक्त, उत्तराखंड
कर्मकार बोर्ड की वेबसाइट में कुछ दिक्कतें थीं। उसको आइसोलेशन में रखकर दिक्कतें दूर की जा रही हैं। -राम उनियाल, जीएम इमर्जिंग टेक्नोलॉजी, आईटीडीए
पिछले साल से घातक है इस बार का हमला
पिछले वर्ष राजाजी टाइगर रिजर्व समेत कई वेबसाइट पर एसईओ पॉइजनिंग अटैक हुआ था। आईटी विशेषज्ञों ने कड़ी मशक्कत के बाद इस पर काबू पाया था। इस बार जो हमला हुआ है, वह एआई इनेबल्ड वायरस का है, जो कि एक बार सिस्टम में घुसने के बाद एआई के कारण ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
क्या होता है एसईओ पॉइजनिंग अटैक
एसईओ (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) पॉइजनिंग एक प्रकार का साइबर हमला है, जिसमें हमलावर सर्च इंजन रैंकिंग को गलत तरीके से प्रभावित करके अपने मैलिशस (हानिकारक) वेबसाइट्स को टॉप पर लाते हैं। इसका मकसद होता है यूजर्स को धोखे में रखकर उन वेबसाइट्स पर क्लिक करवाना। इससे यूजर्स मालवेयर डाउनलोड कर लेंगे या अपनी संवेदनशील जानकारी साझा कर दे देंगे।
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