कर्नाटक हाईकोर्ट में भरेंगे जजों के खाली पड़े पद

प्रस्ताव में कहा गया कि जहां तक ​​जस्टिस बसवराज का संबंध है तो सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश से पूरी तरह सहमत है और उसका मानना ​​है कि वह एक वर्ष के नए कार्यकाल के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य हैं। इसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रस्ताव पर दो सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं क्योंकि जस्टिस गवई यात्रा पर हैं।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र से कर्नाटक हाईकोर्ट के पांच अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है। कॉलेजियम में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के तीन अप्रैल के प्रस्ताव के अनुसार, हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 20 जनवरी को सर्वसम्मति से सिफारिश की थी कि पांच अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए और अतिरिक्त न्यायाधीश बसवराज का कार्यकाल एक वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए बढ़ाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए प्रस्ताव में उल्लेख किया, ‘‘कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने उपरोक्त सिफारिश पर अपनी सहमति व्यक्त की है।’’

इसने कहा, ‘‘मामले के सभी पहलुओं पर विचार करने और उपरोक्त प्रस्ताव पर समग्र विचार करने के बाद, कॉलेजियम का विचार है कि जस्टिस चेप्पुडिरा मोनप्पा पूनाचा, जस्टिस अनिल भीमसेन कट्टी, जस्टिस चंद्रशेखर मृत्युंजय जोशी, जस्टिस उमेश मंजूनाथभट अडिगा और जस्टिस तलकाड गिरिगौड़ा शिवशंकर गौड़ा स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए उपयुक्त एवं योग्य हैं।’’

प्रस्ताव में कहा गया कि जहां तक ​​जस्टिस बसवराज का संबंध है, तो सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश से पूरी तरह सहमत है और उसका मानना ​​है कि वह एक वर्ष के नए कार्यकाल के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य हैं। इसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रस्ताव पर दो सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं क्योंकि जस्टिस गवई यात्रा पर हैं।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा, ‘‘हालांकि, उन्होंने मौखिक रूप से उपरोक्त प्रस्ताव पर अपनी सहमति व्यक्त की है। उनकी लिखित सहमति को उचित समय पर रिकॉर्ड में रखा जाएगा। कॉलेजियम के तीसरे सदस्य की लिखित सहमति की प्रतीक्षा किए बिना प्रस्ताव पर कार्रवाई की जा सकती है क्योंकि अतिरिक्त न्यायाधीशों में से एक का कार्यकाल 16 अप्रैल, 2024 को समाप्त होने वाला है।’’

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