कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य की सभी 224 सीटों के लिए 12 मई को वोट डाले जाएंगे और 15 मई को मतगणना होगी। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास फिलहाल 122 विधायक हैं, जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा 40 विधायकों के साथ दूसरे और जडीएस 35 सीटों लेकर तीसरे नंबर पर है। 15 मई को पता चल जाएगा कि अगले पांच साल तक कौन सत्ता में रहेगा और कौन विपक्ष में। चूंकि अभी चुनाव में करीब एक महीने का वक्त बचा है, ऐसे में यह जान लेना ठीक रहेगा कि मौजूदा विधानसभा की शक्ल कैसी है? कितने करोड़पति सदन में मौजूद हैं? कितने विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं और कौन सबसे ज्यादा कर्ज के बोझ से दबा है?
चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। एडीआर ने 224 में से 207 विधायकों के एफिडेविट का विश्लेषण किया है। बाकी 17 विधायकों के एफिडेविट का विश्लेषण नहीं किया गया क्योंकि या तो वे अब विधायक नहीं हैं, या उनके दस्तावेज स्पष्ट रूप से स्कैन नहीं हैं। इनमें से कांग्रेस के 9 विधायक हैं, जबकि भाजपा और जेडीएस के 2-2 विधायक हैं। 4 विधानसभा सीटें फिलहाल खाली हैं।
सवाल राजनीति के अपराधीकरण का
राजनीति के अपराधीकरण को लेकर तमाम पार्टियां बड़ी-बड़ी बातें जरूर करती हैं, लेकिन रिकॉर्ड देखकर लगता नहीं कि वे इसके प्रति गंभीर भी हैं। क्योंकि जिन 207 विधायकों के एफिडेविट का विश्लेषण किया गया उनमें से 68 विधायक यानी 33 फीसद के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। यही नहीं चिंताजनक बात यह है कि 35 विधायकों (17 फीसद) ने अपने एफिडेविट में बताया है कि उनके खिलाफ गंभीर प्रवृत्ति के अपराध में शामिल होने के मामले दर्ज हैं। बता दें कि गंभीर प्रवृत्ति के अपराध वे होते हैं, जिनमें 5 साल या उससे ज्यादा की सजा का प्रावधान है। इसमें गैर-जमानती अपराध, चुनाव संबंधी अपराध, हत्या, अपहरण, बलात्कार और भ्रष्टाचार जैसे अपराध शामिल हैं।
किसका दामन कितना दागदार
राजनीति में अपराधीकरण रोकने की बड़ी-बड़ी बातें करना बेहद आसान है। लेकिन ऐसे नेताओं के जीतने की प्रबल संभावनाओं के कारण कोई भी पार्टी ऐसे नेताओं को टिकट देने के लालच से बच नहीं पाती। मौजूदा विधानसभा की बात करें दो 114 में से 36 कांग्रेस विधायक (32 फीसद) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि भाजपा के 40 में से 13 (33 फीसद) विधायकों पर ऐसे मामले दर्ज हैं। जनता दल के 11 यानी (31 फीसद) पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इसी तरह अन्य छोटी पार्टियों का भी हाल है। गंभीर श्रेणी के अपराधों की बात करें तो सबसे ज्यादा 17 ऐसे विधायक कांग्रेस के हैं। भाजपा में भी गंभीर प्रवृत्ति के अपराधिक रिकॉर्ड वाले 8 विधायक और जेडीएस के भी 5 ऐसे विधायक हैं।
धनबल का बोलबाला
राजनीति में बाहुबल और धनबल का बोलबाला है। बाहुबल के बारे में तो आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं, धनबल के बारे में भी जान लें। 207 में से 193 यानी कुल 93 फीसद विधायक करोड़पति हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा 109 यानी 96 फीसद करोड़पति विधायक सत्तारूढ़ कांग्रेस में हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी में 36 यानी 90 फीसद और जेडीएस में 33 यानी 94 फीसद विधायक करोड़पति हैं। अन्य पार्टियों और निर्दलीयों में भी करोड़पति उम्मीदवारों की कमी नहीं है। करोड़पतियों की लिस्ट को और गहराई से खंगालें तो पता चलता है कि 108 यानी 52 फीसद विधायकों की संपत्ति 5 करोड़ से ज्यादा है। कुल 52 यानी 25 फीसद की संपत्ति 2 से 5 करोड़ के बीच और 45 (22 फीसद) की संपत्ति 50 लाख से 2 करोड़ के बीच है।
ये हैं सबसे गरीब विधायक
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक विधानसभा में गरीब विधायक तो कोई नहीं है। लेकिन कांग्रेस के एचपी राजेश 7 लाख की संपत्ति के साथ सबसे कम संपत्ति वाले विधायक हैं। धनाढ्य विधायकों की बात करें तो चोटी के पांच धन्नासेठ विधायक कांग्रेस के ही हैं। कांग्रेस विधायक प्रियाकृष्णा 910 करोड़ की संपत्ति के साथ टॉप पर हैं। 470 करोड़ की संपत्ति के मालिक एन. नागाराजू, 288 करोड़ की संपत्ति के साथ अनिल एच लाड, 251 करोड़ की संपत्ति के मालिक डीके शिवकुमार और 186 करोड़ की कुल संपत्ति के साथ संतोष लाड़ (सभी कांग्रेस नेता) चोटी के पांच विधायक हैं।
इनकी देनदारियां भी कम नहीं
जिन नेताओं की संपत्ति सबसे ज्यादा है उनकी देनदारियां भी उतनी ज्यादा हैं। कांग्रेस विधायक प्रियाकृष्णा पर 777 करोड़ की देनदारियां हैं। डीके शिवकुमार पर 105 करोड़, एम. कृष्णप्पा पर 78 करोड़, अनिल एच लाड पर 73 करोड़ और एचडी कुमारास्वामी पर 66 करोड़ की कुल देनदारियां हैं।