करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद, ट्रैफिक जाम में फंसे एंट्री-एग्जिट करना अब लगभग हुआ मुश्किल

करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद रामामंडी फ्लाईओवर जालंधर के गले की फांस बना हुआ है। जालंधर में बिना ट्रैफिक जाम में फंसे एंट्री-एग्जिट करना अब लगभग मुश्किल हो गया है। आने वाले दिनों में यह समस्या जालंधर के ट्रैफिक को बुरी तरह परेशान करेगी।

रामामंडी फ्लाईओवर के नीचे फंसने वाले ट्रैफिक को लेकर ‘दैनिक जागरण’ ने पहले ही चेताया था। इसके बावजूद एनएचएआइ के अधिकारियों ने फिलहाल अपने डिजाइन में कोई तब्दीली नहीं की। ऐसे में यह तो साफ है कि जालंधर शहर में एंट्री-एग्जिट मात्र नौ मीटर चौड़ी सर्विस लेन से ही संभव होगी। इसके अलावा पीएपी फ्लाईओवर के नीचे से लेकर रामा मंडी फ्लाईओवर के नीचे तक का डिजाइन भी ट्रैफिक के लिए अवरोधक है।

नौ मीटर चौड़ी सर्विस लेन से हाईवे पर प्रवेश के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इस समय मात्र कुछ फुट जगह खोलकर ट्रैफिक को किसी तरह निकाला जा रहा है। हालांकि इस हिस्से में ड्रेन का निर्माण पूरा होते ही इस वैकल्पिक व्यवस्था को भी खत्म कर दिया जाएगा और सारा ट्रैफिक रामा मंडी फ्लाईओवर तक सर्विस लेन से ही जाएगा।

फ्लाईओवर के दोनों तरफ सर्विस लेन पर बसें खड़ी होकर यात्रियों का इंतजार करती हैं। इससे ट्रैफिक संचालन में व्यवधान पैदा होता है। चौतरफा ट्रैफिक और संकरी जगह के चलते रामा मंडी फ्लाईओवर के नीचे लगभग हर समय ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती है। फ्लाईओवर के नीचे कोई ट्रैफिक लाइट्स या ट्रैफिक मुलाजिम के न होने के चलते पहले गुजरने की कोशिश में वाहन फंसते नजर आते हैं।

रामा मंडी फ्लाईओवर के नीचे पहुंचता है यह ट्रैफिक

  • होशियारपुर से आने वाला ट्रैफिक।
  • जालंधर से लुधियाना जाने वाला ट्रैफिक।
  • पीएपी फ्लाईओवर पर चढऩे के लिए यू-टर्न लेने वाला ट्रैफिक।
  • अमृतसर-जम्मू जाने वाला ट्रैफिक।
  • कैंट क्षेत्र के भीतर से होशियारपुर व लुधियाना जाने वाला ट्रैफिक

सर्विस लेन चौड़ी करना और हाईवे पर प्रवेश देना ही विकल्प

रामा मंडी फ्लाईओवर के नीचे की स्थिति के मुताबिक सर्विस लेन को चौड़ा करना तथा पीएपी एवं रामा मंडी फ्लाईओवर के मध्य सर्विस लेन से हाईवे पर प्रवेश देना ही इस समस्या का हल हो सकता है। दोनों तरफ सर्विस लेन को चौड़ा करने के लिए अभी भी जगह उपलब्ध है। इन दोनों विकल्पों पर ही गंभीरता से काम किया जाए तो कुछ राहत जरूर मिल सकती है। प्रोजेक्ट के इस हिस्से पर काम कर रही निजी कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि डिजाइन में बदलाव अथवा लोगों की सुविधा के मद्देनजर कोई फैसला लेना एनएचएआइ के अधिकार क्षेत्र में है। अगर एनएचएआइ ऐसा करने को कहेगी तो यह काम भी संभव है।

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