पुरानी तस्वीरों में अपने माता-पिता व बहनों को देखकर जिंदगी जी रहा 18 वर्षीय राज, अपनों की तस्वीर हाथ में लेकर कभी खुद को संभालता है, तो कभी रोने लगता है। चार दिन पहले पड़ोसी की दीवार उनके घर पर आकर क्या गिरी, पूरा परिवार ही उजड़ गया। दीवार गिरने से राज सहित उसकी दो छोटी बहनें व माता-पिता मलबे में दब गए। राज को किसी तरह दोस्तों ने बचा लिया। लेकिन उसके माता-पिता व दो बहनें हमेशा के लिए मलबे में खामोश हो गए। ADVERTISING inRead invented by Teads घर रहा नहीं और परिवार उसने खो दिया। हादसे के बाद से राज अपने दोस्तों के साथ ही रह रहा है। उसके चाचा, चाची व अन्य रिश्तेदारों से ज्यादा दोस्त उसका ध्यान रख रहे हैं। यह हुई थी घटना 18 वर्षीय राज सिंह परिहार खुद 12वीं का छात्र है। थाटीपुर की दर्पण कॉलोनी के जे ब्लॉक में वह अपने पिता अंतराम सिंह परिहार, मां उमा, बहनें खुशी और कशिश के साथ खुशहाल जीवन जी रहा था। लेकिन 27 सितंबर रात 1.40 बजे उसकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। पड़ोसी के सूने मकान में फ्रीज का कम्प्रेशर फटने से ब्लास्ट हुआ। इससे दूसरी मंजिल की दीवार छात्र के एक मंजिल घर पर आकर गिरी। जिस पर उसका पुराना व जर्जर मकान जमीन में मिल गया। हादसे में परिवार के 5 लोग मलबे में दब गए थे। जिसमें से सिर्फ राज ही अकेला बचा, जबकि उसकी दो छोटी बहनें, माता-पिता ने मलबे में ही दम तोड़ गए। चार दिन 4 साल की तरह लग रहे हैं कभी सोचा नहीं था कि," मैं अपने मम्मी-पापा व बहनों के बिना रहूंगा। कभी पापा हॉस्टल भेजने की बात भी करते थे तो डर लगने लगता था। सोचता था इनके बिना रह सकूंगा भी या नहीं। अब सभी मुझे इस तरह से छोड़कर चले गए। मैं आखिरी बार उनका चेहरा भी नहीं देख पाया। हादसे को अभी सिर्फ चार दिन ही हुए हैं, लेकिन ये मेरे चार साल जैसे गुजरे हैं। पता नहीं कैसे जिंदगी में आगे बढ़ सकूंगा। अभी तो यह दोस्त ही मेरा परिवार हैं।" (जैसा राज ने नईदुनिया को बताया) कब जाऊंगा अपने घर घटना के बाद राज के घर उससे मिलने कई मंत्री, नेता पहुंचे। सभी ने उसे वापस उसका मकान पिता की याद में खड़ा करने का आश्वासन दिया। उसे आर्थिक मदद का सहारा देने का वादा किया। लेकिन चार दिन में जमीनी हकीकत उसे समझ आ गई। पिता के 5 भाई और हैं, लेकिन राज दोस्तों के यहां रहने पर विवश है। 4 दिन में हाल चाल पूछना तो दूर किसी रिश्तेदार ने आकर उसका सीटी स्कैन तक नहीं कराया है। जबकि डॉक्टर ने 24 घंटे के अंदर कराने के निर्देश दिए थे। स्थानीय पार्षद मेहताब कंषाना ने कॉलोनी में मंदिर के पास एक पुराने मकान को खाली कराकर साफ सफाई कर छात्र के लिए तैयार करवाया है। लेकिन छात्र को अभी वहां भी जगह नहीं मिली है। 'मुझे मिले मदद' छात्र राज का कहना है कि मैंने पिता, माता दो छोटी बहनों को खोया है। मेरा जीवन दौराहे पर है। यदि कोई भी मदद मिले तो मुझे मेरे बैंक खाते में मिले। मेरे नाम पर किसी और को मदद न मिल जाए। क्योंकि इस समय मैं उस स्थिति में नहीं हूं, जो किसी पर भी विश्वास कर सकूं।

कम्प्रेशर ब्लास्ट हादसा : ‘मेरे पास तो दीवार भी नहीं, जहां मम्मी-पापा की तस्वीर लगा सकूं’

पुरानी तस्वीरों में अपने माता-पिता व बहनों को देखकर जिंदगी जी रहा 18 वर्षीय राज, अपनों की तस्वीर हाथ में लेकर कभी खुद को संभालता है, तो कभी रोने लगता है। चार दिन पहले पड़ोसी की दीवार उनके घर पर आकर क्या गिरी, पूरा परिवार ही उजड़ गया। दीवार गिरने से राज सहित उसकी दो छोटी बहनें व माता-पिता मलबे में दब गए। राज को किसी तरह दोस्तों ने बचा लिया। लेकिन उसके माता-पिता व दो बहनें हमेशा के लिए मलबे में खामोश हो गए। पुरानी तस्वीरों में अपने माता-पिता व बहनों को देखकर जिंदगी जी रहा 18 वर्षीय राज, अपनों की तस्वीर हाथ में लेकर कभी खुद को संभालता है, तो कभी रोने लगता है। चार दिन पहले पड़ोसी की दीवार उनके घर पर आकर क्या गिरी, पूरा परिवार ही उजड़ गया। दीवार गिरने से राज सहित उसकी दो छोटी बहनें व माता-पिता मलबे में दब गए। राज को किसी तरह दोस्तों ने बचा लिया। लेकिन उसके माता-पिता व दो बहनें हमेशा के लिए मलबे में खामोश हो गए।  ADVERTISING  inRead invented by Teads घर रहा नहीं और परिवार उसने खो दिया। हादसे के बाद से राज अपने दोस्तों के साथ ही रह रहा है। उसके चाचा, चाची व अन्य रिश्तेदारों से ज्यादा दोस्त उसका ध्यान रख रहे हैं।  यह हुई थी घटना  18 वर्षीय राज सिंह परिहार खुद 12वीं का छात्र है। थाटीपुर की दर्पण कॉलोनी के जे ब्लॉक में वह अपने पिता अंतराम सिंह परिहार, मां उमा, बहनें खुशी और कशिश के साथ खुशहाल जीवन जी रहा था। लेकिन 27 सितंबर रात 1.40 बजे उसकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। पड़ोसी के सूने मकान में फ्रीज का कम्प्रेशर फटने से ब्लास्ट हुआ।  इससे दूसरी मंजिल की दीवार छात्र के एक मंजिल घर पर आकर गिरी। जिस पर उसका पुराना व जर्जर मकान जमीन में मिल गया। हादसे में परिवार के 5 लोग मलबे में दब गए थे। जिसमें से सिर्फ राज ही अकेला बचा, जबकि उसकी दो छोटी बहनें, माता-पिता ने मलबे में ही दम तोड़ गए।  चार दिन 4 साल की तरह लग रहे हैं  कभी सोचा नहीं था कि," मैं अपने मम्मी-पापा व बहनों के बिना रहूंगा। कभी पापा हॉस्टल भेजने की बात भी करते थे तो डर लगने लगता था। सोचता था इनके बिना रह सकूंगा भी या नहीं। अब सभी मुझे इस तरह से छोड़कर चले गए। मैं आखिरी बार उनका चेहरा भी नहीं देख पाया। हादसे को अभी सिर्फ चार दिन ही हुए हैं, लेकिन ये मेरे चार साल जैसे गुजरे हैं। पता नहीं कैसे जिंदगी में आगे बढ़ सकूंगा। अभी तो यह दोस्त ही मेरा परिवार हैं।"  (जैसा राज ने नईदुनिया को बताया)  कब जाऊंगा अपने घर  घटना के बाद राज के घर उससे मिलने कई मंत्री, नेता पहुंचे। सभी ने उसे वापस उसका मकान पिता की याद में खड़ा करने का आश्वासन दिया। उसे आर्थिक मदद का सहारा देने का वादा किया। लेकिन चार दिन में जमीनी हकीकत उसे समझ आ गई। पिता के 5 भाई और हैं, लेकिन राज दोस्तों के यहां रहने पर विवश है।  4 दिन में हाल चाल पूछना तो दूर किसी रिश्तेदार ने आकर उसका सीटी स्कैन तक नहीं कराया है। जबकि डॉक्टर ने 24 घंटे के अंदर कराने के निर्देश दिए थे। स्थानीय पार्षद मेहताब कंषाना ने कॉलोनी में मंदिर के पास एक पुराने मकान को खाली कराकर साफ सफाई कर छात्र के लिए तैयार करवाया है। लेकिन छात्र को अभी वहां भी जगह नहीं मिली है।  'मुझे मिले मदद'  छात्र राज का कहना है कि मैंने पिता, माता दो छोटी बहनों को खोया है। मेरा जीवन दौराहे पर है। यदि कोई भी मदद मिले तो मुझे मेरे बैंक खाते में मिले। मेरे नाम पर किसी और को मदद न मिल जाए। क्योंकि इस समय मैं उस स्थिति में नहीं हूं, जो किसी पर भी विश्वास कर सकूं।

घर रहा नहीं और परिवार उसने खो दिया। हादसे के बाद से राज अपने दोस्तों के साथ ही रह रहा है। उसके चाचा, चाची व अन्य रिश्तेदारों से ज्यादा दोस्त उसका ध्यान रख रहे हैं।

यह हुई थी घटना

18 वर्षीय राज सिंह परिहार खुद 12वीं का छात्र है। थाटीपुर की दर्पण कॉलोनी के जे ब्लॉक में वह अपने पिता अंतराम सिंह परिहार, मां उमा, बहनें खुशी और कशिश के साथ खुशहाल जीवन जी रहा था। लेकिन 27 सितंबर रात 1.40 बजे उसकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। पड़ोसी के सूने मकान में फ्रीज का कम्प्रेशर फटने से ब्लास्ट हुआ।

इससे दूसरी मंजिल की दीवार छात्र के एक मंजिल घर पर आकर गिरी। जिस पर उसका पुराना व जर्जर मकान जमीन में मिल गया। हादसे में परिवार के 5 लोग मलबे में दब गए थे। जिसमें से सिर्फ राज ही अकेला बचा, जबकि उसकी दो छोटी बहनें, माता-पिता ने मलबे में ही दम तोड़ गए।

चार दिन 4 साल की तरह लग रहे हैं

कभी सोचा नहीं था कि,” मैं अपने मम्मी-पापा व बहनों के बिना रहूंगा। कभी पापा हॉस्टल भेजने की बात भी करते थे तो डर लगने लगता था। सोचता था इनके बिना रह सकूंगा भी या नहीं। अब सभी मुझे इस तरह से छोड़कर चले गए। मैं आखिरी बार उनका चेहरा भी नहीं देख पाया। हादसे को अभी सिर्फ चार दिन ही हुए हैं, लेकिन ये मेरे चार साल जैसे गुजरे हैं। पता नहीं कैसे जिंदगी में आगे बढ़ सकूंगा। अभी तो यह दोस्त ही मेरा परिवार हैं।”

(जैसा राज ने नईदुनिया को बताया)

कब जाऊंगा अपने घर

घटना के बाद राज के घर उससे मिलने कई मंत्री, नेता पहुंचे। सभी ने उसे वापस उसका मकान पिता की याद में खड़ा करने का आश्वासन दिया। उसे आर्थिक मदद का सहारा देने का वादा किया। लेकिन चार दिन में जमीनी हकीकत उसे समझ आ गई। पिता के 5 भाई और हैं, लेकिन राज दोस्तों के यहां रहने पर विवश है।

4 दिन में हाल चाल पूछना तो दूर किसी रिश्तेदार ने आकर उसका सीटी स्कैन तक नहीं कराया है। जबकि डॉक्टर ने 24 घंटे के अंदर कराने के निर्देश दिए थे। स्थानीय पार्षद मेहताब कंषाना ने कॉलोनी में मंदिर के पास एक पुराने मकान को खाली कराकर साफ सफाई कर छात्र के लिए तैयार करवाया है। लेकिन छात्र को अभी वहां भी जगह नहीं मिली है।

‘मुझे मिले मदद’

छात्र राज का कहना है कि मैंने पिता, माता दो छोटी बहनों को खोया है। मेरा जीवन दौराहे पर है। यदि कोई भी मदद मिले तो मुझे मेरे बैंक खाते में मिले। मेरे नाम पर किसी और को मदद न मिल जाए। क्योंकि इस समय मैं उस स्थिति में नहीं हूं, जो किसी पर भी विश्वास कर सकूं।

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