वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को साल 2018-2019 का बजट पेश किया. जिसमें उन्होंने देश के राष्ट्रपति की सैलरी 5 लाख रुपये प्रति महीना दिए जाने का ऐलान किया. वहीं उपराष्ट्रपति का वेतन 4 लाख और राज्यपाल का वेतन 3.5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव पेश किया. बजट से भले ही किसी को फायदा हुआ हो या ना हुआ हो, लेकिन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति का और राज्यपालों को इसका फायदा मिला. वहीं सांसदों के वेतन को लेकर जेटली ने कहा, सांसदों की तनख्वाह में बढ़ोतरी महंगाई इंडेक्स के आधार पर हर 5 साल पर तय होगी. यह 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी. वहीं कुछ आंकड़े हम आपके सामने पेश कर रहे हैं, जिसमें बताया जा रहा है कि संसद के सदस्यों की सैलरी में अब तक कितना बदलाव हुआ.
अगर हम इस बारे में ऐतिहासिक आंकड़ों पर गौर करें तो साल 1921 में संसद के सदस्यों को दैनिक भत्ते के रूप में 20 रुपये मिलते थे. जिसके बाद साल 1945 में दैनिक भत्ता 30 रुपये दिया जाता था. वहीं वाहन भत्ता 15 रुपये था. जिसे साल 1946 में बढ़ाकर 45 रुपये कर दिया गया.
वहीं, मासिक वेतन को लेकर महात्मा गांधी ने जोर देकर कहा था कि सार्वजनिक जीवन में व्यक्तियों को न्यूनतम वेतन लेना चाहिए. उस दौरान संविधान सभा के कुछ सदस्यों को केवल 30 रुपये का भुगतान किया जाता था.
20 मई 1949 को वेतन और दैनिक भत्ते के लिए मसौदा संविधान प्रावधान( Draft Constitution provision) पेश किया गया, जिसमें मासिक आय को 750 से 1000 रुपये के बीच का भुगतान करने के लिए एक सुझाव दिया गया था. लेकिन एक दम से इतने पैसे बढ़ाने के लिए विधानसभा ने आपत्ति जताई थी. लेकिन दैनिक भत्ता 30 रुपये से बढ़ाकर 45 रुपये कर दिया गया.
17 अक्टूबर 1949 में वी. आई. मुन्नीस्वामी पिल्लई ने दैनिक भत्ता को 40 रुपये करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा.
मेंबर ऑफ पार्लियामेंट एक्ट 1954 के तहत मासिक वेतन के रूप में 400 रुपये और दैनिक भत्ता के रूप में 21 रुपये का प्रस्ताव रखा गया. साथ ही 1946 में पेंशन को भी शामिल किया गया.
इतने बदलाव के बाद सैलरी में बढ़ोत्तरी होती गई. जो इस प्रकार है. 1964 में 500 रुपये, 1983 में 750 रुपये, 1985 में 1000 रुपये, 1988 में 4000 हजार रुप, 1998 में 12000 हजार रुपये और 2006 में हालिया पैमाने पर 16,000 रुपये की वृद्धि हुई थी.
वहीं जिस प्रकार मासिक आय में बढ़ोतरी हुई वहीं दैनिक भत्ते में भी बढ़ोतरी हुई जो इस प्रकार है. 1964 में 31 रुपये, 1969 में 51 रुपये, 1983 में 75 रुपये, 1988 में 150 रुपये, 1993 में 200 रुपये, 1998 में 400 रुपये और 2001 में 500 रुपये कर दिया गया.
जानें- सैलरी के साथ कितनी सुविधाएं लोकसभा के मेंबर को दी जाती है:- एक सांसद को 50 हजार रुपये हर महीने वेतन के रूप में मिलते हैं. जिसके साथ संसदीय क्षेत्र भत्ता 45 हजार रुपये, दैनिक भत्ता 2 हजार रुपये, ऑफिस के खर्चे के लिए 45,000 हजार रुपये मिलते हैं. इसी के साथ ट्रैवलिंग, रेल यात्रा, हवाई यात्रा के लिए सुविधाएं दी जाती है. जो कुल मिलाकर 2 लाख 20 हजार है.
सांसद की पत्नी के लिए सुविधाएं: सांसद की पत्नी को रेल यात्रा के लिये फर्स्ट एसी का टिकट मुफ्त दिया जाता है. जिसमें वह साल में 8 बार यात्राएं कर सकती हैं.