कभी सबको रोजगार देने वाले बंगाल के लोग अब रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर हैं : PM मोदी

PM मोदी : हुगली उद्योगों का केंद्र था, कारखाने थे, बड़े पैमाने पर यहां से निर्यात होता था। लेकिन आज हुगली की क्या स्थिति है, ये आप जानते हैं। एक समय था जब पूर्वी भारत के अनेक लोकगीतों में, घर-घर में माताएं-बहनें किसी भी शुभ अवसर पर जो लोकगीत गाती थीं, उनमें गाया जाता था कि घर के लोग कमाने के लिए ‘कलकत्ता’ गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन गीतों में उम्मीद लगाई जाती थी कि वहां से वापस आते समय व्यक्ति क्या-क्या लाएगा। ऐसे गीत बंगाल के बाहर पूरे देश में गाए जाते थे। ये कलकत्ता की कीर्ति थी, अब ये सब बदल गया है। कभी सबको रोजगार देने वाले बंगाल के लोग अब रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर हैं। हम इसमें बदलाव लाएंगे।

हम तेजी से निर्णय लेंगे, इस क्षेत्र का विकास करेंगे। एक समय था जब यहां की जूट मिलें देश भर की जरूरत को पूरी करती थीं। लेकिन यह उद्योग भी अपने हाल पर छोड़ गिया गया। जबसे केंद्र में भाजपा सरकार आई है, जूट किसानों के लिए कई कदम लिए गए हैं। गेहूं की पैकिंग के लिए हमने जूट का उपयोग अनिवार्य कर दिया है।

पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे लेकर अपने दौरे के तहत प्रधानमंत्री मोदी हुगली पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आपका उत्साह कोलकाता से दिल्ली के लिए एक संदेश भेज रहा है। अब पश्चिम बंगाल ने परिवर्तन के लिए अपना मन बना लिया है।

प्रधानमंत्री ने राज्य की तृणमूल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की अब तक की सरकारों ने इस ऐतिहासिक क्षेत्र को अपने हाल पर ही छोड़ दिया। यहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर को, यहां की धरोहरों को बेहाल होने दिया गया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम भवन, जहां बंकिम चंद्र चटर्जी पांच साल रहे, वो बहुत बुरी हालत में है।

उन्होंने कहा कि ये वो भवन है जहां उन्होंने वंदे मातरम की रचना को लेकर मंथन किया। वो वंदे मातरम जिसने आजादी की लड़ाई में नए प्राण फूंके। प्रधानमंत्री ने कहा कि  जब बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी तो हर बंगालवासी अपनी संस्कृति का गौरवगान बिना किसी के डर के कर सकेगा।

उन्होंने कहा कि हम ऐसा बंगाल बनाएंगे जो टोलाबाजी से मुक्त होगा और रोजगार व स्वरोजगार से युक्त होगा। उन्होंने कहा कि मां माटी और मानुष की बात करने वाले लोग बंगाल के विकास के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए हैं। बंगाल में कमल खिलाना इसलिए जरूरी है कि बंगाल में वह परिवर्तन आ सके जिसकी उम्मीद में हमारा नौजवान जी रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, बंगाल के लाखों गरीब परिवार आयुष्मान योजना के तहत पांच लाख रुपये के मुफ्त इलाज की सुविधा से आज भी वंचित हैं। गरीब को सुविधा मिले इन प्रयासों को कैसे यहां रोका जाता है उसका एक उदाहरण देता हूं। देश के गांवों में हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन चल रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रयास ये है कि हमारी माताओं, बहनों और बेटियों को पानी लाने में समय और श्रम न लगाना पड़े। बच्चों को प्रदूषित पानी से बोने वाली बीमारियों से बचाया जा सके। बंगाल के लिए यह इसलिए ज्यादा जरूरी है क्योंकि यहां डेढ़ पौने दो करोड़ ग्रामीण घरों में, केवल दो लाख घरों में नल से जल की सुविधा है।

पीएम ने कहा, यहां की सरकार जिस रफ्तार से काम कर रही है, उस रफ्तार से तो बंगाल के हर घर तक पाइप से जल पहुंचाने में पता नहीं कितने साल बीत जाएंगे। हर घर में जल पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने 1700 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम टीएमसी सरकार को दी। लेकिन इसमें से सिर्फ 609 करोड़ रुपये ही यहां के सरकार ने खर्च किए।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि बाकी 1100 करोड़ यहां की सरकार दबा के बैठ गई है। ये दिखाता है कि टीएमसी सरकार को गरीब की, बंगाल की बहनों और बेटियों की जरा भी परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि बंगाल में भाजपा की सरकार केवल सत्ता में परिवर्तन के लिए नहीं बल्कि आसोल (पूर्ण) परिवर्तन के लिए बनानी है।

हुगली उद्योगों का केंद्र था, कारखाने थे, बड़े पैमाने पर यहां से निर्यात होता था। लेकिन आज हुगली की क्या स्थिति है, ये आप जानते हैं। एक समय था जब पूर्वी भारत के अनेक लोकगीतों में, घर-घर में माताएं-बहनें किसी भी शुभ अवसर पर जो लोकगीत गाती थीं, उनमें गाया जाता था कि घर के लोग कमाने के लिए ‘कलकत्ता’ गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन गीतों में उम्मीद लगाई जाती थी कि वहां से वापस आते समय व्यक्ति क्या-क्या लाएगा। ऐसे गीत बंगाल के बाहर पूरे देश में गाए जाते थे। ये कलकत्ता की कीर्ति थी, अब ये सब बदल गया है। कभी सबको रोजगार देने वाले बंगाल के लोग अब रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर हैं। हम इसमें बदलाव लाएंगे।

हम तेजी से निर्णय लेंगे, इस क्षेत्र का विकास करेंगे। एक समय था जब यहां की जूट मिलें देश भर की जरूरत को पूरी करती थीं। लेकिन यह उद्योग भी अपने हाल पर छोड़ गिया गया। जबसे केंद्र में भाजपा सरकार आई है, जूट किसानों के लिए कई कदम लिए गए हैं। गेहूं की पैकिंग के लिए हमने जूट का उपयोग अनिवार्य कर दिया है।

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