कभी सद्दाम हुसैन के शासन में हुआ था ऐसा, अब किस योजना पर काम रहा इराक?

इराक में करीब तीन दशक से अधिक समय के बाद पहली राष्ट्रीय जनगणना शुरू होने जा रही है। ये इराक के लिए एक खास क्षण है क्योंकि देश में भविष्य की योजना और विकास के लिए जनसांख्यिकीय जानकारी एकत्र करने की कोशिश की जा रही है।

इस बात की जानकारी इराक के योजना मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल ज़हरा अल-हिंदवी ने दी। उन्होंने कहा कि 1987 में सद्दाम हुसैन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली पूर्ण जनगणना का उद्देश्य इराक की आबादी की व्यापक गणना प्रदान करना है। एक अनुमान के अनुसार साल 2024 के अंत तक इराक की आबादी 43 मिलियन से अधिक होने का अनुमान है।

तीन दशक बाद क्यों हो रही जनगणना?

दरअसल, इराक में कई राजनीतिक गुटों के बीच संघर्ष, अस्थिरता और असहमति के कारण राष्ट्रीय जनगणना आयोजित करने की कोशिशों में देरी हुई है। हालांकि, अब देश में स्थिरता का दौर है। बुधवार से शुरु होने वाली जनगणना को लेकर अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया जाएगा।

1997 में हुई थी जनगणना की कोशिश

रिपोर्ट्स के अनुसार साल 1997 में जनगणना कराने की कोशिश की गई थी। हालांकि, इस जनगणना इराकी कुर्दिस्तान क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया था, जो 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद से कुर्द अधिकारियों द्वारा शासित था। अधिकारियों ने जो आकड़ा बताया था, उसके अनुसार इराक के 19 मिलियन इराकी लोगों की गिनती की गई थी। अधिकारियों ने यह भी अनुमान जताया था कि कुर्द उत्तर में 3 मिलियन और लोग हैं, लेकिन जनगणना के न होने से ये आंकड़ा साफ नहीं हो सका था।

क्यों बार-बार स्थगित की गई जनगणना?

बताया जाता रहा है कि इराक में जनगणना को बार-बार इसलिए स्थगित किया गया क्योंकि इसका राजनीतिकरण किया जा रहा था। उत्तरी शहर किरकुक समेत अन्य इलाकों में जातीय समूहों ने इराक में होने वाली जनगणना का विरोध किया था। इसके पीछे का कारण था कि उनके क्षेत्र के लोगों की संख्या का पता चल सकता था, जिससे राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को कमजोर होने की उम्मीद थी। जनगणना को लेकर कुर्द राजनेता श्वान दाउदी ने कहा कि हमें (जनगणना को लेकर) न केवल किरकुक में बल्कि अन्य सभी विवादित क्षेत्रों में डर है, जो विभिन्न शक्तियों के बीच मजबूत असहमति के अधीन हैं।

पूछे जाएंगे कौन से सवाल?

इराक के योजना मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल ज़हरा अल-हिंदवी ने इराक में होने वाली जनगणना को लेकर आगे कहा कि एकत्रित किए गए डेटा का उपयोग बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सेवाओं जैसे क्षेत्रों में निर्णय लेने के लिए किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जनगणना में धार्मिक संबद्धता के बारे में केवल एक प्रश्न होगा, मुस्लिम या ईसाई और जातीय पृष्ठभूमि या सांप्रदायिक संबद्धता के बारे में कोई भी प्रश्न नहीं होगा। इराकी सरकार ने कहा कि जनगणना के शुरुआती परिणाम 24 घंटे के भीतर घोषित किए जाएंगे और अंतिम परिणाम दो से तीन महीने में जारी किए जाएंगे।

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