दिल्ली सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा ने केजरीवाल सरकार पर बड़ा हमला बोला है. कपिल मिश्रा के अनुसार दिल्ली सरकार ने वर्ष 2017-2018 के वित्तीय बजट के आंकड़ों में से बड़ा बजट खर्च नहीं किया है.
शिक्षा और स्वास्थ्य पर जितना बोला, नहीं किया खर्च
कपिल मिश्रा के अनुसार दिल्ली सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के बजट का 10 फीसदी बजट भी खर्च नहीं किया है. दिल्ली में मिड डे मील पर 55 करोड़ फंड का ऐलान किया गया था, मगर एक पैसा खर्च नहीं किया गया. लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन की योजना में भी पैसा खर्च नहीं किया. 150 पॉलीक्लीनिक बनने थे, लेकिन 16 ही बने.
‘ना लाइब्रेरी, ना कंप्यूटर और ना ही टीचर’
कपिल मिश्रा ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में एक भी स्कूल नहीं बनाया गया है. 182 करोड़ रुपये कंप्यूटर खर्च में दिए गए थे, एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है. नर्सरी से पांचवीं तक लाइब्रेरी बनाने का ऐलान था, लेकिन एक भी लाइब्रेरी नहीं बनी है. सरकार द्वारा 80 करोड़ का फंड लाइब्रेरी के लिए अलॉट किया गया था, लेकिन एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया है. पंजाबी और उर्दू टीचर में से एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है.
49 बड़ी परियोजनाओं पर भी नहीं किया खर्च
कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पूरा साल बीत जाने के बाद भी एक पैसा खर्च नहीं किया. 10 ट्रांसपोर्ट और पीडब्लूडी (pwd) की एक भी योजना का पैसा खर्च नहीं हुआ. रूरल डेवलपमेंट में से 600 करोड़ में से सिर्फ 46 करोड़ के टेंडर हुए हैं. यमुना रिवर फ्रंट की एक भी मीटिंग नहीं ली गई. यमुना रिवर फ्रंट के लिए 100 करोड़ का ऐलान किया था, लेकिन एक भी खर्च नहीं हुआ.
पर्यावरण योजना पर ही किया गया पूरा खर्च
सरकार द्वारा 10 हज़ार ऑटो के परमिट की घोषणा की गई थी, जिसमें 90% काम हुआ हैं. 57 करोड़ फंड पर्यावरण के लिए दिया गया था, जिसके तहत एयर क्वालिटी स्टेशन बनने थे, सिर्फ इस योजना का फंड ही पूरा इस्तेमाल किया गया है. अंडरपास आश्रम चौक पर 1 रुपया नहीं खर्च हुआ. महिपालपुर से एयरपोर्ट तक अंडरपास बनना था, उस पर 1 रुपया भी खर्च नहीं किया गया. इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग के लिए भी पैसा खर्च नहीं हुआ.
दिल्ली जल बोर्ड पर भी नहीं किया खर्च
कपिल मिश्रा ने कहा कि 2160 करोड़ रुपये का बजट जल बोर्ड के लिए दिया गया था, लेकिन पूरे साल में एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया है. दिल्ली जल बोर्ड ने पहले 2 साल में 309 कॉलोनी में पानी कनेक्शन दिए थे, लेकिन पिछले 1 साल में केवल 10 कॉलोनी में कनेक्शन दिए गए हैं. 11 हजार नए टॉयलेट बनने थे, मगर महज 3 हजार बने हैं. टूरिज्म के लिए 119 करोड़ रुपये का प्रस्ताव था, मगर एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ.