भारतीय टीम के दो महीने के दौरे की शुरुआत तीन वन-डे मैचों की सीरीज से होगी। उसके बाद इतने ही टी-20 मैच खेले जाएंगे। ये छह मैच 27 नवंबर से 8 दिसंबर तक सिडनी और कैनबरा में खेले जाएंगे। बीसीसीआई के सूत्रों के अनुसार यदि अनुभवी ईशांत शर्मा सही समय पर फिट नहीं होते हैं तो हेड कोच रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण नए प्लान पर काम कर सकते हैं।
यह भी संभव हो सकता है कि बुमराह और शमी केवल तीन वन-डे मैच खेलें। वे दस ओवरों का कोटा फेंकें और उसके बाद सीधे अभ्यास मैचों में उतरें, जिससे पांच दिवसीय प्रारूप की तैयारियों को बेहतर कर सकें। टेस्ट सीरीज की शुरुआत 17 दिसंबर को एडिलेड में गुलाबी गेंद से खेले जाने वाले दिन-रात्रि टेस्ट से होगी।
दरअसल 11 से 13 दिसंबर तक खेले जाने वाला अभ्यास मैच सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में गुलाबी गेंद से खेला जाएगा और इसमें उसी अंतिम एकादश के उतरने की संभावना है जिसने एडीलेड टेस्ट में खेलना है। इसे दिन-रात्रि टेस्ट के ड्रेस रिहर्सल के रूप में लिया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो टी-20 सीरीज में नए प्रयोग होंगे।
भारतीय टीम दीपक चाहर, टी नटराजन और नवदीप सैनी की पेस तिकड़ी के साथ उतर सकती है। जबकि स्पिन विभाग का जिम्मा युजवेंद्र चहल, रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर संभाल सकते हैं। यदि दोनों (बुमराह और शमी) तेज गेंदबाज तीनों टी-20 (4, 6 और 8 दिसंबर) खेलते हैं तो उन्हें एक अभ्यास मैच कम खेलने को मिलेगा और टीम प्रबंधन ऐसा नहीं चाहेगा।
भारतीय टीम को दौरे में दो अभ्यास मैच खेलने हैं जिसमें लाल गेंद से पहला अभ्यास मैच 6-8 दिसंबर तक खेला जाएगा, लेकिन दूसरा अभ्यास मैच और तीसरे टी-20 मैच की तारीख टकरा रही है। टेस्ट सीरीज के लिए बुमराह और शमी बेहद महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में प्रबंधन नहीं चाहेगा कि दोनों तेज गेंदबाजों को 12 दिन के अंदर छह मैचों में उतारा जाए।
यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि टीम इंडिया के पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे में शमी-बुमराह ने तलहका मचा दिया था। 2018-19 की इस टेस्ट सीरीज में दोनों गेदबाजों ने मिलकर 36 विकेट चटकाए थे। अब जब इस बार भारतीय शेरों को 12 दिन के भीतर सीमित ओवरों के छह मैच खेलने हैं तो टेस्ट सीरीज से पहले दोनों गेंदबाजों की ऊर्जा बचाना अनिवार्य है।