ऑक्सफॉर्ड और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैकसीन पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस वैक्सीन में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम करने और साथ ही इससे होने वाली मौतों पर लगाम लगाने की संभावनाएं अधिक हैं। डब्ल्यूएचओ वैश्विक सलाहकार समिति ने एक बार फिर से कहा है कि इस वैक्सीन से होने वाले फायदे की तुलना में जोखिम कहीं ज्यादा कम है। आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से इस वैक्सीन की डोज ले चुके लोगों में खून के थक्के जमने की बात सामने आई थी। इसके बाद इसके उपयोग को लेकर कई तरह के सवाल और आशंकाएं भी व्यक्त की गईं। डब्ल्यूएचओ का ताजा बयान इस बारे में इन आशंकाओं को काफी हद तक दूर करता है।

गौरतलब है कि इस वैक्सीन की यूरोप में करीब दो करोड़ खुराक और भारत में करीब ढाई करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं। खून के थक्के जमने की बात सामने आने के बाद यूरोप के कुछ देशों ने इसकी समीक्षा होने तक इसके वैक्सीनेशन को स्थगित कर दिया था। इस वैक्सीन पर उठे सवालों और आशंकाओं के मद्देनजर डब्ल्यूएचओ की वैश्विक सलाहकार सह-समिति की बैठक हाल ही में हुई थी, जिसके बाद ये बातें सामने आई हैं। इस दौरान बैठक में उन लोगों के आंकड़ों की समीक्षा की गई जिनमें खून के थक्के जमने और प्लेटलेट्स गिरने की बात कही गई थी।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि इस बैठक के बाद समिति मानती है कि जो आंकड़े अब तक संगठन के सामने पेश हुए हैं वो ये नहीं दिखाते हैं कि ऑक्सफॉर्ड-ऐस्ट्राजेनेका वैक्सीन दिये जाने के बाद, इंसानी शरीर में खून के थक्के जमने की अवस्थाओं में कोई तेजी आई हो। इसलिए इस समिति ने इस वैक्सीन के टीकाकरण को बंद न किए जाने की सिफारिश की है। हालांकि संगठन के प्रमुख ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि जो आशंकाएं जताई गईं हैं वो चिंता जरूर पैदा करती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ किया है कि कोविड-19 वैक्सीन की सुरक्षा के संबंध में उठी चिंताओं को भी संगठन बेहतर तरह से समझता है।
यूएन की स्वास्थ्य एजेंसी ने ये भी कहा है कि इसके वैक्सीनेशन के दौरान हमें ये भी याद रखना होगा कि इससे खून के थक्के का जमना और प्लेटलेट में कमी आ सकती है। इसके बावजूद क्योंकि इस वैक्सीन को लगवाने में जोखिम कम है और फायदे अधिक हैं इसलिए डब्ल्यूएचओ वैक्सीन का इस्तेमाल जारी रखने का आग्रह करता है। आपको बता दें कि डब्ल्यूएचओ अपनी कोवैक्स योजना के तहत इसी वैक्सीन को दुनिया के विभिन्न देशों को सप्लाई कर रहा है। मौजूदा वर्ष के शुरुआत दो माह में संक्रमणों में आई गिरावट के बाद मामले फिर से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। संगठन के मुताबिक संक्रमण से होने वाली मौतों के मामले में जरूर गिरावट देखी गई है।
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