अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं और एक बेहतर रिटर्न वाला निवेश विकल्प खोज रहे है, तो आप पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ (PPF) में निवेश कर सकते हैं। एक बेहतर ब्याज दर के साथ ही इसका एक खास फायदा यह है कि इस निवेश विकल्प में तीन जगहों पर आयकर छूट का लाभ लिया जा सकता है। ग्राहक को पीपीएफ में निवेश राशि पर, ब्याज आय पर और फिर मैच्योरिटी राशि पर भी आयकर छूट का फायदा मिलता है।
पोस्ट ऑफिस के अतिरिक्त कुछ बैंक भी पीपीएफ की सुविधा देते हैं। ग्राहक देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (SBI) के माध्यम से भी पीपीएफ में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए ग्राहक को एक फॉर्म-ए भरकर उसे आवश्यक दस्तावेजों के साथ एसबीआई की किसी भी शाखा में जमा कराने की जरूरत होती है। यहां बता दें कि एक व्यक्ति द्वारा केवल एक पीपीएफ अकाउंट ही खोला जा सकता है।
योग्यता
पीपीएफ अकाउंट किसी भी वयस्क भारतीय नागरिक द्वारा खुलवाया जा सकता है। वहीं, नाबालिग संतान की तरफ से उसके माता या पिता पीपीएफ अकाउंट खुलवाा सकते हैं। नाबालिक बच्चों के मां-बाप की मृत्यु हो जाने पर अभिभावक के रूप में दादा/दादी नाबालिग की तरफ से पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकते हैं।
इन दस्तावेजों की होगी जरूरत
भारतीय स्टेट बैंक में पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए फॉर्म-ए के साथ पैन कार्ड की प्रति/फॉर्म 60-61, पासपोर्ट आकार की फोटो, बैंक के केवाईसी नियमों के अनुसार आईडी प्रूफ व निवास प्रमाण पत्र से संबंधित दस्तावेज की प्रति और नॉमिनेशन फॉर्म की आवश्यकता होती है।
ब्याज दर
पीपीएफ अकाउंट पर ब्याज दर को सरकार द्वारा हर तीन महीने में तय किया जाता है। वर्तमान में पब्लिक प्रोविडेंट फंड पर ब्याज दर 7.1 फीसद है और पीपीएफ अकाउंट की अवधि 15 साल है।
पीपीएफ कैलकुलेटर
पीपीएफ के निवेशक SBI PPF कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके ब्याज दर और अवधि के हिसाब से अपने रिटर्न की गणना कर सकते हैं। पीपीएफ कैलकुलेटर के माध्यम से निवेशक पीपीएफ मैच्योरिटी राशि, ब्याज आय, पीपीएफ पर लोन और तत्काल पीपीएफ निकासी राशि की भी गणना कर सकता है।
निवेश राशि
पीपीएफ अकाउंट में एक वित्त वर्ष में कम से कम 500 रुपये और अधिक से अधिक 1.5 लाख रुपये निवेश किये जा सकते हैं। यहां एकमुश्त या अधिकतम 12 किश्तों में निवेश किया जा सकता है। यदि वित्त वर्ष के पूरे होने तक निवेशक द्वारा पीपीएफ अकाउंट में न्यूनतम 500 रुपये भी निवेश नहीं किये जाते हैं, तो 50 रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से जुर्माना वसूला जाता है।