एयर इंडिया की रणनीतिक बिक्री को लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को बयान दिया। मंत्री ने कहा कि अब अनिवासी भारतीय (NRIs) एयरलाइंस में 100 फीसद हिस्सेदारी हासिल कर सकते हैं। पहले यह 49 फीसद था। 
जावड़ेकर ने कहा कि कैबिनेट ने NRI को एयर इंडिया में 100 फीसद हिस्सेदारी हासिल करने के लिए मंजूरी दे दी है। NRI द्वारा कैरियर में 100 फीसद निवेश की अनुमति देना SOEC मानदंडों का उल्लंघन नहीं होगा। एनआरआई निवेश को घरेलू निवेश माना जाएगा। सरकार के अप्रूवल रूट से एयरलाइन में 49 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भी किया जा सकता है।
कुछ शर्तों के अधीन, मौजूदा मानदंडों के अनुसार, एयरलाइन में 100 फीसद एफडीआई की अनुमति है, जिसमें शामिल है कि यह विदेशी एयरलाइंस के लिए लागू नहीं होगा।
गौरतलब है कि सरकार ने जनवरी में Air India में 100 फीसद हिस्सेदारी बेचने को लेकर आरंभिक सूचना जारी की थी। बोली दस्तावेज के अनुसार, रणनीतिक विनिवेश के तहत सरकार एयर इंडिया एक्सप्रेस में अपनी 100 फीसद हिस्सेदारी और ज्वाइंट वेंचर AISATS में 50 फीसद हिस्सेदारी बेचेगी। एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की अंतिम तिथि 17 मार्च है।
AISATS एयर इंडिया और सिंगापुर एयरलाइंस का संयुक्त उद्यम है जिसमें दोनों की बराबर की हिस्सेदारी है। बोली दस्तावेज के अनुसार, विनिवेश के समाप्त होने तक एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस पर 23,286 करोड़ रुपये का कर्ज बना रहेगा। शेष कर्ज को AIAHL को ट्रांसफर किया जाएगा।
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