सरकार ने बताया कि एक नवंबर तक 161.47 लाख टन धान है। इसके अलावा मंत्रालय का लक्ष्य खरीफ विपणन सत्र में 521.27 लाख टन चावल खरीदने का है। FCI ने ई-नीलामी के 19वें दौर में 2.87 लाख टन गेहूं बेचा। FCI ने OMSS के तहत बोली की मात्रा बढ़ाकर 200 रुपये टन कर दी।
सरकार ने गुरुवार को बताया कि एक नवंबर तक 161.47 लाख टन धान की खरीद की गई है, जिससे लगभग 9.33 लाख किसानों को 35,571.14 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य का लाभ हुआ है। सरकार ने कहा कि वर्ष 2023-24 के अक्टूबर से सितंबर तक चलने वाले खरीफ विपणन सत्र में खरीद कार्य ‘सुचारू रूप’ से आगे बढ़ रहा है।
सरकार ने खरीदे 521.27 लाख टन चावल
मंत्रालय का लक्ष्य खरीफ विपणन सत्र में 521.27 लाख टन चावल खरीदने का है, जिसमें से 20.76 प्रतिशत (108.23 लाख टन) पहले ही पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु से खरीदा जा चुका है। इसमें कहा गया है कि पंजाब से लगभग 66.42 लाख टन, हरियाणा से 36.11 लाख टन और तमिलनाडु से 3.26 लाख टन खरीदा गया है। धान की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसमों में की जाती है। देश के कुल चावल उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा खरीफ मौसम से आता है।
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ई-नीलामी का 19वें दौर
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने ई-नीलामी के 19वें दौर में बफर स्टाक से थोक उपभोक्ताओं को 2.87 लाख टन गेहूं बेचा है। सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय खाद्य निगम गेहूं और चावल जैसी प्रमुख वस्तुओं की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए 28 जून से साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से मुक्त बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत आटा मिल मालिकों और छोटे व्यापारियों जैसे थोक खरीदारों को केंद्रीय पूल से गेहूं और चावल बेच रहा है।
एक नवंबर को आयोजित 19वीं ई-नीलामी में बेचे गए गेहूं की मात्रा थोड़ी अधिक रही क्योंकि एफसीआई(FCI) ने ओएमएसएस के तहत बोली की मात्रा बढ़ाकर 200 रुपये टन कर दी। खाद्य मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘इसके चलते ई-नीलामी में 2,389 बोलीदाताओं को 2.87 लाख टन गेहूं बेचा गया है।’ उचित और औसत गुणवत्ता वाले गेहूं के लिए भारित औसत बिक्री मूल्य 2,291.15 रुपये प्रति क्विटल था, जबकि आरक्षित मूल्य 2,150 रुपये प्रति क्विटल था।