एक मई को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हुए नक्सली हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) करेगी। वाहन से जा रहे पुलिस वालों को निशाना बनाकर नक्सलियों ने आइईडी विस्फोट किया था। हमले में वाहन चालक समेत 15 पुलिस वालों की मौत हो गई थी। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि घटनास्थल पर गहरा गड्ढा हो गया था।

गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक शैलेश बलकावड़े ने बताया कि अगले कुछ दिनों में एनआइए इस मामले की जांच अपने हाथ में ले लेगी। उन्होंने बताया कि अभी तक हमने इस मामले में आठ नक्सलियों को गिरफ्तार किया है। ताजा गिरफ्तारी 29 जून को कैलाश प्रेमचंद रामचंदानी की गई है।
गिरफ्तार नक्सलियों में से दो माओवादी संगठन के वरिष्ठ सदस्य हैं। गढ़चिरौली पुलिस ने पहले इस मामले में पहले पश्चिमी जोन के जोनल कमांडर निर्मला कुमारी और उसके पति सत्यनारायण को गिरफ्तार किया था। दोनों आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं।
लापरवाही थी वजह-
पूर्व खुफिया अधिकारी शिरीष इनामदार का मानना था कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हुए नक्सली हमले में क्विक रिस्पांस टीम (क्यूआरटी) के 15 जवानों की जान विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण गई।
राज्य खुफिया विभाग में अतिरिक्त उपायुक्त रह चुके इनामदार ने बताया था कि क्यूआरटी के जवान नक्सलियों के बिछाये जाल में फंस गए थे। उन्होंने बताया था, ‘ऐसे कम से कम दर्जनभर खुफिया अलर्ट थे कि नक्सल प्रभावित जिलों में इस तरह के हमले हो सकते हैं’, लेकिन इन इलाकों में संसदीय चुनाव शांतिपूर्ण हो जाने के कारण सतर्कता पर अतिआत्मविश्वास हावी हो गया। इसे लेकर इनामदार ने कई सवाल भी उठाए थे। जब यह हमला हुआ तब देश में चुनाव का माहौल था।
एंटी नक्सल आपरेशन (एएनओ) के आला अधिकारियों के मुताबिक, यह हमला छत्तीगसढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में सक्रिय नक्सलियों ने साजिश को अंजाम दिया था। खुफिया विभाग ने पहले ही आशंका जताई थी कि लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली गढ़चिरौली में बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। यह अलर्ट उस समय जारी हुआ था, जब छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में भाजपा विधायक भीमा मंडावी की नक्सली ब्लास्ट में हत्या कर दी गई थी।
एएनओ के आला अधिकारियों ने बताया था कि बस्तर में नक्सलियों को घेरने के बाद नक्सली बड़े नेताओं ने गढ़चिरौली के ट्राइजंक्शन को नया ठिकाना बनाया था। यहां बड़े नेताओं की मौजूदगी की लगातार खबर मिल रही थी। पिछले चार साल में फोर्स और स्थानीय पुलिस के लगातार चलाए जा रहे ऑपरेशन के बाद नक्सली बैकफुट पर थे। कोई बड़ी वारदात करने में सफलता नहीं मिल रही थी। ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में ऑपरेशन किया गया।
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