आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में जहरीली गैस लीक होने से 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 800 से ज्यादा लोगों को सांस लेने में परेशानी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बीमारों में से कई की हालत गंभीर बनी हुई है। इनमें बच्चे भी शामिल हैं। गैस के रिसाव पर काबू पा लिया गया है।

विशाखापट्टनम में तबाही मचाने वाली गैस को स्टाइरीन कहा जाता है। इसे स्टाइरोल और विनाइल बेंजीन भी कहते हैं। यह रंगहीन या हल्का पीला ज्वलनशील द्रव (लिक्विड) होता है जोकि बहुत खतरनाक है। इस गैस के संपर्क में आने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है। एनडीआरएफ के महानिदेशक एसएल प्रधान ने बताया कि ये गैस व्यक्ति की नसों, गले, आंखों और शरीर के अलग-अलग भागों पर प्रभाव डालती है।
यह एक बहुत ज्वलनशील गैस है। विषेशज्ञों का कहना है कि इस गैस से प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द इलाज मिलना चाहिए। गैस के रिसाव से संपर्क में आने से मनुष्य की त्वचा में रेशेज, आंखों में जलन, उल्टी, बेहोशी, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
कम समय के लिए अगर इस गैस का रिसाव हो तो आंखों में जलन जैसे नतीजे सामने आते हैं लेकिन लंबे समय तक शरीर में रहने से यह गैस बुरा प्रभाव डालती है। यह गैस बच्चों और सांस के मरीजों के लिए बहुत खतरनाक है।
स्टाइरीन त्वचा के जरिए भी शरीर में दाखिल हो सकती है। अगर त्वचा के जरिए शरीर में इसकी बड़ी मात्रा पहुंच जाए तो सांस लेने के जरिए पैदा होने वाले सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन जैसे हालात पैदा हो सकते हैं।
अगर स्टाइरीन पेट में पहुंच जाए तो भी इसी तरह के असर दिखाई देते हैं। इससे त्वचा में हल्की जलन और आंखों में मामूली से लेकर गंभीर जलन तक हो सकती है।
यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार स्टाइरीन का इस्तेमाल पॉलिस्टाइरीन प्लास्टिक, फाइबर ग्लास और रबड़ बनाने में होता है। इसके अलावा पाइप, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, प्रिंटिग और कॉपी मशीन, जूते और खिलौने आदि बनाने में किया जाता है।
जिस कंपनी से गैस लीक हुआ है वो दक्षिण कोरिया की है। 1961 से इसका संचालन किया जा रहा है। यह कंपनी एलजी पॉलिमर्स पॉलीस्टाइरीन और कई कामों में आने वाला प्लास्टिक बनाती है जिसका इस्तेमाल अलग-अलग तरह के उत्पाद जैसे खिलौने आदि बनाने में होता है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal