एनडीआरआई के डेयरी विभाग किया चमत्कार अब पांच घंटे में ……

अब बाजार से दही का कप खरीद कर लाने की जरूरत नहीं होगी, घर में भी ऑटोमेटिक मशीन से बेहतर क्वालिटी की दही आप जमा सकेंगे। यह संभव हो सकेगा एनडीआरआई के डेयरी अभियांत्रिकी विभाग की तकनीक से। विभाग की ओर से नई मशीन के अविष्कार का दावा किया गया है, जिससे पांच घंटे में आप जितनी दही चाहें जमा सकते हैं वो भी बिल्कुल एक्यूरेसी के साथ।

वैज्ञानिकों के अनुसार, एकबार में 200 कप दही जमाने की मशीन के लिए आपको लगभग एक लाख रुपये खर्च करने होंगे। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के डेयरी अभियांत्रिकी विभाग की ओर से बनाई गयी मशीन में ऑटोमेटिक हीटिंग और कूलिंग प्रणाली का संगम है। इसके माध्यम से दूध रखने के बाद पांच घंटे में आपको जमी हुई दही मिलेगी।

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तकनीक के सभी ट्रायल सफल हो चुके हैं। फिलहाल यह तकनीक मार्केट में नहीं आई है, लेकिन जल्द ही इसके मार्केट में आने की उम्मीद है। इस तकनीक से किसी भी स्तर पर दही बनाने की क्षमता को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। बड़े उद्योग से लेकर डेयरी उत्पाद बिक्री शॉप में यह इस्तेमाल की जा सकेगी।

देखने में यह मशीन फ्रीज सरीखी है, जिसमें टाइम कंट्रोलर लगाया गया है। दही बनाने से पहले दूध से हार्मफुल माइक्रो आग्रेनिज्म खत्म करने के लिए उबाला जाता है। उसके बाद 40 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करें। उसके उपरांत दूध में थर्मोफीलिक या मिजोफिलिक कल्चर दो प्रतिशत मात्रा में डाला जाता है। यह कल्चर मार्केट में पाउडर के रूप में उपलब्ध होता है।

इसके अलावा घर में रखी पुरानी दही को भी जोरन के रूप में इतनी ही मात्रा में इस्तेमाल कर सकते हैं। कल्चर मिश्रित दूध को कप या बर्तनों में डालकर एंडो एक्सो थर्मल यूनिट में रखेंगे। मशीन में हीटिंग क्वाइल भी है और रेफ्रीजरेशन भी। मशीन में 30 से 45 डिग्री टेंपरेचर सेट कर दिया जाता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि उद्योग में दही बनाने के लिए ज्यादातर थर्मोफीलिक कल्चर का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक की मुख्य खासियत यह है कि गर्म और ठंडा करने के लिए इसे बार-बार हिलाने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि ऑटोमेटिक मशीन में एक ही बार में बिना हिले दही तैयार हो जाती है। शुद्धता अधिक होने के कारण इसमें संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता है।

इस तकनीक को विकसित करने में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. चित्रनायक, डॉ. जेके डबास व डॉ. पीएस मिज का योगदान रहा है। डॉ. डबास ने कहा कि दही बनाने के लिए गर्मी भी चाहिए और कूलिंग भी। इस मशीन में हीटिंग और कूलिंग का ऑटोमेटिक ढंग से समावेश किया गया है। इस तकनीक को मार्केट में उतारने के लिए संस्थान की ओर से जल्द ही टाइअप किया जाएगा।

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