एक ही मरीज को एक से अधिक बार कोरोना संक्रमण हो सकता है : सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. अतुल कक्कड़

राजधानी दिल्ली में पहली बार कोरोना से दोबारा संक्रमित होने के मामले मिले हैं। सर गंगाराम अस्पताल में एक स्वास्थ्य कर्मचारी और एक अन्य व्यक्ति को दो-दो बार संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया है। इनमें से एक मरीज को तो 25 दिन बाद ही अस्पताल में वापस आकर भर्ती होना पड़ा।

अस्पताल प्रशासन के अनुसार, एक महिला स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुई थी। तीन दिन तक भर्ती रहने और लक्षण हल्के होने की वजह से उसे होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई। 

17 दिन तक वह होम आइसोलेशन में रही और उसके बाद जांच में कोविड निगेटिव पाई गई, लेकिन दो महीने बाद उक्त महिला स्वास्थ्य कर्मचारी को दोबारा से कोरोना हो गया। कफ आने के साथ साथ मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। हालांकि भर्ती होने के कुछ दिन बाद वह निगेटिव मिली और डिस्चार्ज कर दिया।

ठीक इसी तरह एक और मामला सामने आया। एक मधुमेह ग्रस्त रोगी को कोरोना संक्रमण होने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया। करीब 10 दिन तक उपचार के बाद निगेटिव रिपोर्ट मिलने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया, लेकिन उसके ठीक 25 दिन बाद वापस मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा और जांच में कोरोना संक्रमण दोबारा से होने की पुष्टि हुई।

अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. अतुल कक्कड़ ने बताया कि कोरोना वायरस के दोबारा होने के मामले काफी कम हैं, लेकिन यह सच है कि एक ही मरीज को एक से अधिक बार कोरोना संक्रमण हो सकता है। 

उन्होंने कहा कि यह दोनों ही मामले कोरोना वायरस के दोबारा होने से जुड़े हैं। दोनों ही मरीजों की जीनोम सिक्वेसिंग भी की गई है ताकि संक्रमण के बारे में और भी ज्यादा जानकारी एकत्रित की जा सके।

महिला स्वास्थ्य कर्मचारी में जब दोबारा से लक्षण मिले तो डॉक्टरों ने सबसे पहले एंटीबॉडी की जांच की, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव मिली, यानी जांच में महिला के शरीर में एंटीबॉडी नहीं मिली, जबकि वह एक बार कोरोना संक्रमित हो चुकी है।

दूसरी बार में एंटीबॉडी न मिलने के बाद जब आरटी पीसीआर जांच हुई तो उसमें फिर से संक्रमण की पुष्टि हुई। डॉक्टरों का कहना है कि एक मरीज के संक्रमित होने के तीन से छह माह तक एंटीबॉडी रह सकती है।

डॉक्टरों का कहना है कि इन दोनों ही मामलों से स्पष्ट होता है कि लोगों को संक्रमित होने और उससे ठीक होने के बाद यह नहीं सोचना चाहिए कि अब उन्हें कोरोना नहीं होगा। संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद भी लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने जैसे नियमों का पालन करना चाहिए।

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