सचिन तेंदुलकर महान बल्लेबाजों में शुमार किए जाते हैं और कई युवा क्रिकेटर के लिए वो प्रेरणा हैं। सचिन तेंदुलकर एक बल्लेबाज के तौर पर खूब सफल रहे, लेकिन एक कप्तान के तौर पर उन्होंने थोड़ा निराश किया।
क्रिकेट के बड़े-बड़े रिकॉर्ड अपने नाम पर करने वाले सचिन को जब टीम इंडिया की कप्तानी का मौका मिला तो वो खुद को साबित नहीं कर पाए। ये बात भी सामने आई थी कि सचिन ने अपनी बल्लेबाजी के लिए टीम की कप्तानी छोड़ दी थी।
अब सचिन की कप्तानी के बारे में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी सोच बताई है। उनका कहना है कि जब तक सचिन कप्तान नहीं बने थे तब तक मेरा ये सोचना था वो टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर सबसे बेहतरीन विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि जब वह कप्तान नहीं थे वह बेहद ऐक्टिव थे।
वो स्लिप में फील्डिंग करते थे, दौड़कर कप्तान के पास जाते थे, उन्हें सलाह और हौसला देते थे। थरूर ने कहा कि लेकिन जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो ये विकल्प ज्यादा काम नहीं कर पाया।
उनके पास मजबूत टीम नहीं थी, लेकिन उन्होंने खुद भी स्वीकार किया है प्रेरणादायी कप्तान नहीं थे। उन्होंने कहा कि सचिन के पास भले ही मजबूत टीम न रही हो लेकिन वह प्रेरक कप्तान भी नहीं थे।
आपको बता दें कि सचिन को साल 1996 में कप्तानी सौंपी गई थी और इस अवधि में उन्होंने भारत के लिए 73 वनडे व 25 टेस्ट मैचों में कप्तानी की थी। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम 73 वनडे में से 23 ही जीत सकी और 43 में उसे हार मिली। इस दौरान उनका जीत प्रतिशत 35.07 ही रहा।
इसके अलावा 25 टेस्ट के दौरान टीम इंडिया को सिर्फ 9 टेस्ट में ही जीत मिल सकी। यहां उनका जीत का औसत सिर्फ 16 ही रहा। यानी कप्तान के तौर पर उनका रिकॉर्ड काफी खराब रहा था। हालांकि सचिन कप्तान के तौर पर सफल नहीं रहे, लेकिन एक बल्लेबाज के तौर पर वो लीजेंड हैं और पूरी दुनिया उन्हें सलाम करती है।