एक फोन कॉल पर महिलाओं व दिव्यांगों की सहायता करने के लिए हाजिर हो जाते हैं मो. अलीम, नहीं लेते शुल्क

दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो मुश्किल घड़ी में भी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटते, ऐसे ही शख्स हैं मोहम्मद अलीम जो मुसीबत में फंसे लोग की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। बाबरपुर में रहने वाले अलीम (32 वर्ष) पिछले दस वर्षों से दिव्यांगों व महिलाओं की मदद करते आ रहे हैं।

इनकी मदद करने का तरीका थोड़ा अलग है,  कोरोना काल में जहां सामाजिक संस्थाएं व सरकार राशन, मास्क, सैनिटाइजर आदि देकर लोग की मदद कर रही हैं। वहीं, अलीम दिल्ली के किसी भी क्षेत्र में महिलाओं, दिव्यांगो व अन्य जरूरतमंदों के दोपहिया वाहन खराब होने पर देर रात को भी हाजिर हो जाते हैं।

पेशे से मैकेनिक अलीम ने बताया कि उन्हें दूसरों की मदद करने से बहुत खुशी मिलती है और अभी उनके पास दस कर्मचारी भी हैं जो दिल्ली के किसी भी क्षेत्र से जरूरतमंद की कॉल आने पर मदद करने के लिए जाते हैं। वह हर जगह तुरंत नहीं पहुंच सकते, इसलिए उन्होंने अब कुछ कर्मचारी रखें है जिन्हें वह वेतन भी देते हैं। बचपन से ही उन्हें अलग-अलग तरह की गाड़ियां चलाने का शौक था लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह अपना सपना पूरा नहीं कर सके, तो उन्होंने मौजपुर में गाड़ी की मरम्मत का काम शुरु किया जिससे उनका शौक भी पूरा हो गया।

रास्ते में फंसे एक दिव्यांग की मदद करने से मिला सुकून

करीब 10 वर्ष पहले अलीम को शास्त्री पार्क से कश्मीरी गेट की ओर जा रहे रास्ते पर एक दिव्यांग व्यक्ति मिला, जो अपनी गाड़ी खराब होने से बहुत परेशान था। अलीम उनके पास पहुंचे और गाड़ी ठीक करके उसकी परेशानी दूर की। अलीम ने बताया कि उसकी मदद करके उन्हें बहुत खुशी हुई  और सुकून मिला। फिर उन्होंने सोच लिया कि अब वह हमेशा दिव्यांगों व महिलाओं की मदद करेंगे और उनसे कोई शुल्क नहीं लेंगे। वह अब तक करीब 30 हजार दिव्यांगों व महिलाओं की मदद कर चुके हैं और वह लोग  गाड़ी खराब होने पर हमेशा अलीम को ही फोन करके मदद के लिए बुलाते हैं।

कोरोना योद्धाओं को भी दी निशुल्क सेवा

लॉकडाउन में उन्होंने करीब 200 कोरोना योद्धाओं की भी मदद की और यह मदद अब भी जारी है। अलीम ने बताया कि कोरोना वायरस जैसी महामारी के चलते जब गाड़ी ठीक कराने वाली अधिकतर दुकानें बंद पड़ी थी, तब हमारे कोरोना योद्धाओं को अपनी गाड़ी ठीक कराने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। तो उन्होंने निश्चय किया कि अब दिव्यांगों व  महिलाओं के साथ-साथ वह पुलिसकर्मियों व डॉक्टरों की भी मदद करेंगे। कोरोना वायरस जैसी भयंकर महामारी की परवाह ना करते हुए उन्होंने मुसीबत में फंसे जरूरतमंदों की मदद की।

बता दें कि लॉकडाउन की वजह से गैरेज बंद थे। इसकी वजह से आपातकालीन सेवा में लगे लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों के वाहन खराब होने पर उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में मो. अलीम ने जरुरतमंदों की मदद कर मिसाल पेश की। अलीम ने यह दिखा दिया कि अगर कोई काम ठान लें तो उसे पूरा करना मुश्किल काम नही होता।

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