गूगल अपने डूडल के जरिए हर दिन किसी-न-किसी महान हस्‍ती को याद करता है। इसी कड़ी में गूगल ने आज डॉ गोविंदप्‍पा वेंकटस्‍वामी का डूडल बना कर उन्‍हें याद किया है। डॉ वेंकटस्‍वामी भारत के महान नेत्र सर्जन थे। डॉक्‍टर वेंकटस्‍वामी ने अपना सारा जीवन गरीबों की आखों को रोशन करने में खपा दिया। उनके अथक प्रयास से ही कई जरूरतमंदों के आंखों की रोशनी लौटी और वे दुनिया के रंग देख सके। आज 100वां जन्‍मदिन गूगल ने आज उनके 100वें जन्‍मदिन पर डूडल बनाया है। गोविंदप्‍पा के करीबी उनको डॉ वी के नाम से संबोधित करते थे। उनका जन्‍म1 अक्टूबर, 1918 को तमिलनाडु के वडामलप्‍पुरम में हुआ था। उन्‍होंने अरविंद आई हॉस्‍पीटल की 13 बेडों के साथ शुरुआत की थी। यह आज के वक्‍त एक बहुत बड़े नेटवर्क के रूप में स्‍थापित है और देश में लोगों को अपनी सेवा दे रहा है। डॉ वी ने स्‍टेनली मेडिकल कॉलेज चेन्‍नई से अपनी मेडिकल की डिग्री ली थी। इसके बाद 1945 से 1948 तक भारतीय सेना में फिजिशियन के तौर पर अपने सेवा दी। वक्‍त ने उनकी कड़ी परीक्षा ली और तीस साल की उम्र में ही उन्‍हें गठिया जैसी गंभीर बीमारी हो गई। इसके बावजूद उन्‍होंने अपना काम जारी रखा। तमिलनाडु में चेतक विमान दुर्घटनाग्रस्त, क्रू मेंबर सुरक्षित यह भी पढ़ें एक दिन में 100 सर्जरी डॉ वी एक दिन में करीब-करीब 100 सर्जरी तक करते थे। उन्‍होंने अंधेपन की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए रिहैब सेंटर भी खोला। यह उनका लोगों और समाज के प्रति लगाव ही था कि वह अपने काम से कभी पीछे नहीं हटते थे। इसका नतीजा डॉ गोविंदप्‍पा वेंकटस्‍वामी ने करीब 100000 आंखों की सफल सर्जरी की। डॉ. वी को राष्ट्रहित में योगदान देने के लिए 1973 में दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री मिला। सुब्रमणयम स्‍वामी ने कहा पाक के चार टुकड़े होंगे, इमरान को बताया चपरासी यह भी पढ़ें उनकी नेक शुरुआत बनी मिशन डॉ. वी ने जिस नेक काम के लिए अरविंद आई हॉस्पिटल की शुरुआत की थी, वह आज मिशन बन कर लोगों की सेवा कर रहा है। अरविंद आई हॉस्पिटल आज भी सेवा में सक्रिय है। आज इस हॉस्पिटल में 3600 बिस्तर हैं। यहां हर साल तकरीबन 2 लाख से भी ज्यादा लोगों की सर्जरी होती है। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति बोले, भारत दुनिया में कर रहा अपनी साख मजबूत यह भी पढ़ें सबसे खास बात यह है कि यहां आने वाले मरीजों में से तकरीबन 70 प्रतिशत लोगों का निशुल्क या फिर बहुत कम खर्च पर इलाज होता है। डॉ वी ने शादी नहीं की और पूरे जीवन अपने छोटे भाई श्रीनिवासन के साथ रहे। 7 जुलाई को, 2006 को 87 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।

एक दिन में 100 सर्जरी करने वाले डॉ गोविंदप्‍पा वेंकटस्‍वामी को गूगल ने किया याद

गूगल अपने डूडल के जरिए हर दिन किसी-न-किसी महान हस्‍ती को याद करता है। इसी कड़ी में गूगल ने आज डॉ गोविंदप्‍पा वेंकटस्‍वामी का डूडल बना कर उन्‍हें याद किया है। डॉ वेंकटस्‍वामी भारत के महान नेत्र सर्जन थे। डॉक्‍टर वेंकटस्‍वामी ने अपना सारा जीवन गरीबों की आखों को रोशन करने में खपा दिया। उनके अथक प्रयास से ही कई जरूरतमंदों के आंखों की रोशनी लौटी और वे दुनिया के रंग देख सके।गूगल अपने डूडल के जरिए हर दिन किसी-न-किसी महान हस्‍ती को याद करता है। इसी कड़ी में गूगल ने आज डॉ गोविंदप्‍पा वेंकटस्‍वामी का डूडल बना कर उन्‍हें याद किया है। डॉ वेंकटस्‍वामी भारत के महान नेत्र सर्जन थे। डॉक्‍टर वेंकटस्‍वामी ने अपना सारा जीवन गरीबों की आखों को रोशन करने में खपा दिया। उनके अथक प्रयास से ही कई जरूरतमंदों के आंखों की रोशनी लौटी और वे दुनिया के रंग देख सके।   आज 100वां जन्‍मदिन  गूगल ने आज उनके 100वें जन्‍मदिन पर डूडल बनाया है। गोविंदप्‍पा के करीबी उनको डॉ वी के नाम से संबोधित करते थे। उनका जन्‍म1 अक्टूबर, 1918 को तमिलनाडु के वडामलप्‍पुरम में हुआ था। उन्‍होंने अरविंद आई हॉस्‍पीटल की 13 बेडों के साथ शुरुआत की थी। यह आज के वक्‍त एक बहुत बड़े नेटवर्क के रूप में स्‍थापित है और देश में लोगों को अपनी सेवा दे रहा है।  डॉ वी ने स्‍टेनली मेडिकल कॉलेज चेन्‍नई से अपनी मेडिकल की डिग्री ली थी। इसके बाद 1945 से 1948 तक भारतीय सेना में फिजिशियन के तौर पर अपने सेवा दी। वक्‍त ने उनकी कड़ी परीक्षा ली और तीस साल की उम्र में ही उन्‍हें गठिया जैसी गंभीर बीमारी हो गई। इसके बावजूद उन्‍होंने अपना काम जारी रखा।   तमिलनाडु में चेतक विमान दुर्घटनाग्रस्त, क्रू मेंबर सुरक्षित यह भी पढ़ें एक दिन में 100 सर्जरी  डॉ वी एक दिन में करीब-करीब 100 सर्जरी तक करते थे। उन्‍होंने अंधेपन की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए रिहैब सेंटर भी खोला। यह उनका लोगों और समाज के प्रति लगाव ही था कि वह अपने काम से कभी पीछे नहीं हटते थे। इसका नतीजा डॉ गोविंदप्‍पा वेंकटस्‍वामी ने करीब 100000 आंखों की सफल सर्जरी की। डॉ. वी को राष्ट्रहित में योगदान देने के लिए 1973 में दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री मिला।   सुब्रमणयम स्‍वामी ने कहा पाक के चार टुकड़े होंगे, इमरान को बताया चपरासी यह भी पढ़ें उनकी नेक शुरुआत बनी मिशन  डॉ. वी ने जिस नेक काम के लिए अरविंद आई हॉस्पिटल की शुरुआत की थी, वह आज मिशन बन कर लोगों की सेवा कर रहा है। अरविंद आई हॉस्पिटल आज भी सेवा में सक्रिय है। आज इस हॉस्पिटल में 3600 बिस्तर हैं। यहां हर साल तकरीबन 2 लाख से भी ज्यादा लोगों की सर्जरी होती है।   उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति बोले, भारत दुनिया में कर रहा अपनी साख मजबूत यह भी पढ़ें सबसे खास बात यह है कि यहां आने वाले मरीजों में से तकरीबन 70 प्रतिशत लोगों का निशुल्क या फिर बहुत कम खर्च पर इलाज होता है। डॉ वी ने शादी नहीं की और पूरे जीवन अपने छोटे भाई श्रीनिवासन के साथ रहे। 7 जुलाई को, 2006 को 87 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।

आज 100वां जन्‍मदिन

गूगल ने आज उनके 100वें जन्‍मदिन पर डूडल बनाया है। गोविंदप्‍पा के करीबी उनको डॉ वी के नाम से संबोधित करते थे। उनका जन्‍म1 अक्टूबर, 1918 को तमिलनाडु के वडामलप्‍पुरम में हुआ था। उन्‍होंने अरविंद आई हॉस्‍पीटल की 13 बेडों के साथ शुरुआत की थी। यह आज के वक्‍त एक बहुत बड़े नेटवर्क के रूप में स्‍थापित है और देश में लोगों को अपनी सेवा दे रहा है।

डॉ वी ने स्‍टेनली मेडिकल कॉलेज चेन्‍नई से अपनी मेडिकल की डिग्री ली थी। इसके बाद 1945 से 1948 तक भारतीय सेना में फिजिशियन के तौर पर अपने सेवा दी। वक्‍त ने उनकी कड़ी परीक्षा ली और तीस साल की उम्र में ही उन्‍हें गठिया जैसी गंभीर बीमारी हो गई। इसके बावजूद उन्‍होंने अपना काम जारी रखा।

एक दिन में 100 सर्जरी

डॉ वी एक दिन में करीब-करीब 100 सर्जरी तक करते थे। उन्‍होंने अंधेपन की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए रिहैब सेंटर भी खोला। यह उनका लोगों और समाज के प्रति लगाव ही था कि वह अपने काम से कभी पीछे नहीं हटते थे। इसका नतीजा डॉ गोविंदप्‍पा वेंकटस्‍वामी ने करीब 100000 आंखों की सफल सर्जरी की। डॉ. वी को राष्ट्रहित में योगदान देने के लिए 1973 में दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री मिला।

उनकी नेक शुरुआत बनी मिशन

डॉ. वी ने जिस नेक काम के लिए अरविंद आई हॉस्पिटल की शुरुआत की थी, वह आज मिशन बन कर लोगों की सेवा कर रहा है। अरविंद आई हॉस्पिटल आज भी सेवा में सक्रिय है। आज इस हॉस्पिटल में 3600 बिस्तर हैं। यहां हर साल तकरीबन 2 लाख से भी ज्यादा लोगों की सर्जरी होती है।

सबसे खास बात यह है कि यहां आने वाले मरीजों में से तकरीबन 70 प्रतिशत लोगों का निशुल्क या फिर बहुत कम खर्च पर इलाज होता है। डॉ वी ने शादी नहीं की और पूरे जीवन अपने छोटे भाई श्रीनिवासन के साथ रहे। 7 जुलाई को, 2006 को 87 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। 

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