LUCKNOW : एटीएस के एएसपी राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले का केस सीबीआई ने अभी दर्ज नहीं किया है। चार दिन पहले गृह विभाग से इस मामले से जुड़े दस्तावेज ले जाने के बावजूद केस दर्ज किए जाने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। ध्यान रहे कि सीबीआई ने उन्नाव कांड में राज्य सरकार के नोटिफिकेशन के चौबीस घंटे के भीतर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। यूपी पुलिस के जिंदादिल अफसर की मौत के मामले में सीबीआई जांच में देरी से तमाम सवाल उठने लगे हैं। खुद राजेश के दोस्त विनोद कापरी जो फिल्म डायरेक्टर भी हैं, उन्होंने सोमवार को ट्वीट के जरिए कई सवाल उठाए।  मुख्यालय से नहीं मिली हरी झंडी सूत्रों की मानें तो राजधानी स्थित सीबीआई के जोनल कार्यालय को अभी तक मुख्यालय से केस दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली है। इससे पहले केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर करने का नोटिफिकेशन भी जारी होना है। वहीं इस मामले में कोई एफआईआर न होना भी जांच में रोड़ा बन सकता है। इन हालात में सीबीआई को पहले प्रारंभिक जांच कर घटना से जुड़े अहम तथ्य और सुबूत जुटाने होंगे ताकि यदि कोई शक के घेरे में आता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की जा सके। ध्यान रहे कि इस मामले की एफआईआर दर्ज कराने को लेकर पहले दिन से ही पीपीएस एसोसिएशन द्वारा मांग उठाई जा चुकी है। बावजूद इसके अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है। हालांकि रविवार देर रात राज्य सरकार ने राजेश साहनी की पत्नी को ओएसडी का पद देने, बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने और सरकारी आवास खाली न कराने का ऐलान कर उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद की है। दोस्त ने उठाए सवाल वहीं राजेश के दोस्त विनोद कापरी ने सोमवार को फिर से इस मामले को लेकर ट्वीट किया कि 'कल रात से यूपी एटीएस के अफसर की तरफ से मीडिया में खबरें प्लांट कराई जा रही हैं कि राजेश साहनी ने पारिवारिक कारणों से आत्महत्या की और सुबूत के तौर पर दिखाए जा रहे चार मैसेज और चार कॉल। सवाल है कि क्यों नहीं अब तक एफआईआर हुई? सीबीआई जांच कब शुरू होगी? असीम को क्यों नहीं हटाया गया?' इधर जारी है तनातनी खास बात यह है कि जहां सूबे के कुछ आईपीएस अफसर इस मामले को सुसाइड करार देकर सीबीआई जांच की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पीपीएस भी इस बार हार मानने को तैयार नहीं हैं। खासा दबाव होने के बाद भी पीपीएस अफसर इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने और सीबीआई से जांच कराने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। दरअसल सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर न किए जाने से भी उनका असंतोष बढ़ता जा रहा है।  परिवार को किए मैसेज पर अलग राय दरअसल घटना के दिन राजेश साहनी की पत्नी और बेटी के बीच कुछ वाट्सएप मैसेज को लीक किया गया है। इन्हें लेकर आईपीएस अफसरों की राय भी अलग-अलग है। राजधानी में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे सामान्य करार दिया है तो कुछ अफसर इसे ही सुसाइड की वजह बताने पर तुले हुए हैं। 

एएसपी साहनी मामले में सीबीआई जांच को लेकर आईपीएस और पीपीएस के बीच तनातनी तेज

LUCKNOW : एटीएस के एएसपी राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले का केस सीबीआई ने अभी दर्ज नहीं किया है। चार दिन पहले गृह विभाग से इस मामले से जुड़े दस्तावेज ले जाने के बावजूद केस दर्ज किए जाने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। ध्यान रहे कि सीबीआई ने उन्नाव कांड में राज्य सरकार के नोटिफिकेशन के चौबीस घंटे के भीतर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। यूपी पुलिस के जिंदादिल अफसर की मौत के मामले में सीबीआई जांच में देरी से तमाम सवाल उठने लगे हैं। खुद राजेश के दोस्त विनोद कापरी जो फिल्म डायरेक्टर भी हैं, उन्होंने सोमवार को ट्वीट के जरिए कई सवाल उठाए। LUCKNOW : एटीएस के एएसपी राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले का केस सीबीआई ने अभी दर्ज नहीं किया है। चार दिन पहले गृह विभाग से इस मामले से जुड़े दस्तावेज ले जाने के बावजूद केस दर्ज किए जाने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। ध्यान रहे कि सीबीआई ने उन्नाव कांड में राज्य सरकार के नोटिफिकेशन के चौबीस घंटे के भीतर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। यूपी पुलिस के जिंदादिल अफसर की मौत के मामले में सीबीआई जांच में देरी से तमाम सवाल उठने लगे हैं। खुद राजेश के दोस्त विनोद कापरी जो फिल्म डायरेक्टर भी हैं, उन्होंने सोमवार को ट्वीट के जरिए कई सवाल उठाए।   मुख्यालय से नहीं मिली हरी झंडी सूत्रों की मानें तो राजधानी स्थित सीबीआई के जोनल कार्यालय को अभी तक मुख्यालय से केस दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली है। इससे पहले केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर करने का नोटिफिकेशन भी जारी होना है। वहीं इस मामले में कोई एफआईआर न होना भी जांच में रोड़ा बन सकता है। इन हालात में सीबीआई को पहले प्रारंभिक जांच कर घटना से जुड़े अहम तथ्य और सुबूत जुटाने होंगे ताकि यदि कोई शक के घेरे में आता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की जा सके। ध्यान रहे कि इस मामले की एफआईआर दर्ज कराने को लेकर पहले दिन से ही पीपीएस एसोसिएशन द्वारा मांग उठाई जा चुकी है। बावजूद इसके अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है। हालांकि रविवार देर रात राज्य सरकार ने राजेश साहनी की पत्नी को ओएसडी का पद देने, बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने और सरकारी आवास खाली न कराने का ऐलान कर उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद की है।  दोस्त ने उठाए सवाल वहीं राजेश के दोस्त विनोद कापरी ने सोमवार को फिर से इस मामले को लेकर ट्वीट किया कि 'कल रात से यूपी एटीएस के अफसर की तरफ से मीडिया में खबरें प्लांट कराई जा रही हैं कि राजेश साहनी ने पारिवारिक कारणों से आत्महत्या की और सुबूत के तौर पर दिखाए जा रहे चार मैसेज और चार कॉल। सवाल है कि क्यों नहीं अब तक एफआईआर हुई? सीबीआई जांच कब शुरू होगी? असीम को क्यों नहीं हटाया गया?'  इधर जारी है तनातनी खास बात यह है कि जहां सूबे के कुछ आईपीएस अफसर इस मामले को सुसाइड करार देकर सीबीआई जांच की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पीपीएस भी इस बार हार मानने को तैयार नहीं हैं। खासा दबाव होने के बाद भी पीपीएस अफसर इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने और सीबीआई से जांच कराने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। दरअसल सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर न किए जाने से भी उनका असंतोष बढ़ता जा रहा है।   परिवार को किए मैसेज पर अलग राय दरअसल घटना के दिन राजेश साहनी की पत्नी और बेटी के बीच कुछ वाट्सएप मैसेज को लीक किया गया है। इन्हें लेकर आईपीएस अफसरों की राय भी अलग-अलग है। राजधानी में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे सामान्य करार दिया है तो कुछ अफसर इसे ही सुसाइड की वजह बताने पर तुले हुए हैं। 

मुख्यालय से नहीं मिली हरी झंडी
सूत्रों की मानें तो राजधानी स्थित सीबीआई के जोनल कार्यालय को अभी तक मुख्यालय से केस दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली है। इससे पहले केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर करने का नोटिफिकेशन भी जारी होना है। वहीं इस मामले में कोई एफआईआर न होना भी जांच में रोड़ा बन सकता है। इन हालात में सीबीआई को पहले प्रारंभिक जांच कर घटना से जुड़े अहम तथ्य और सुबूत जुटाने होंगे ताकि यदि कोई शक के घेरे में आता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की जा सके। ध्यान रहे कि इस मामले की एफआईआर दर्ज कराने को लेकर पहले दिन से ही पीपीएस एसोसिएशन द्वारा मांग उठाई जा चुकी है। बावजूद इसके अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है। हालांकि रविवार देर रात राज्य सरकार ने राजेश साहनी की पत्नी को ओएसडी का पद देने, बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने और सरकारी आवास खाली न कराने का ऐलान कर उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद की है।

दोस्त ने उठाए सवाल
वहीं राजेश के दोस्त विनोद कापरी ने सोमवार को फिर से इस मामले को लेकर ट्वीट किया कि ‘कल रात से यूपी एटीएस के अफसर की तरफ से मीडिया में खबरें प्लांट कराई जा रही हैं कि राजेश साहनी ने पारिवारिक कारणों से आत्महत्या की और सुबूत के तौर पर दिखाए जा रहे चार मैसेज और चार कॉल। सवाल है कि क्यों नहीं अब तक एफआईआर हुई? सीबीआई जांच कब शुरू होगी? असीम को क्यों नहीं हटाया गया?’

इधर जारी है तनातनी
खास बात यह है कि जहां सूबे के कुछ आईपीएस अफसर इस मामले को सुसाइड करार देकर सीबीआई जांच की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पीपीएस भी इस बार हार मानने को तैयार नहीं हैं। खासा दबाव होने के बाद भी पीपीएस अफसर इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने और सीबीआई से जांच कराने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। दरअसल सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर न किए जाने से भी उनका असंतोष बढ़ता जा रहा है। 

परिवार को किए मैसेज पर अलग राय
दरअसल घटना के दिन राजेश साहनी की पत्नी और बेटी के बीच कुछ वाट्सएप मैसेज को लीक किया गया है। इन्हें लेकर आईपीएस अफसरों की राय भी अलग-अलग है। राजधानी में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे सामान्य करार दिया है तो कुछ अफसर इसे ही सुसाइड की वजह बताने पर तुले हुए हैं। 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com