अमेरिकी नागरिकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के खतरों से बचाने के लिए यहां के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहली बार कानूनी नियम जारी किए हैं। इन ‘राष्ट्रपति-आदेश’ के 8 लक्ष्य बताए गए हैं। इनमें एआई के जरिये बनाये डीप फेक फोटो-वीडियो पर वाटरमार्क जरूरी करने से लेकर जैविक व परमाणु हथियार बनाने में एआई के उपयोग पर रोक शामिल हैं।
अमेरिका में राष्ट्रपति के अधिशासी आदेश कानूनी हैसियत रखते हैं, हालांकि तभी तक, जब तक इसे जारी करने वाले राष्ट्रपति खुद सत्ता में हैं। आदेश के 8 लक्ष्यों में एआई से सुरक्षा, निजता की सुरक्षा, आधुनिक समता व नागरिक अधिकार, उपभोक्ताओं, मरीजों व विद्यार्थियों के हितों का संरक्षण, कार्मिक को सहयोग, इनोवेशन व प्रतियोगिता को बढ़ावा, अमेरिका को एआई तकनीकों का लीडर बनाना और तकनीक का सरकार द्वारा जवाबदेह व प्रभावी उपयोग शामिल हैं। सिफारिश की गई है कि एआई तकनीक से बनाए फोटो, वीडियो, ऑडियो आदि में साफ वाटरमार्क जैसे फीचर होने चाहिए, ताकि लोगों को पता रहे कि यह असली नहीं हैं और अफवाह न फैलें। ऐसा साल 2024 में होने जा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए किया गया है।
जैविक तत्व बनाने से रोकें: एआई के जरिए जैविक तत्व बनाने से रोकने के लिए विभिन्न विभागों को कहा गया है कि वे मिलकर मानक नियम बनाएं।
निस्ट जांचेगा एआई मॉडल: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड सेफ्टी (निस्ट) नए एआई मॉडल बनाने के लिए मानक तय करेगा। यह मानक चैटजीपीटी जैसे नए मॉडल लोगों के बीच उतारने से पहले परखे जाएंगे। कंपनियों को इन मॉडल की सुरक्षा जांच के परिणाम भी साझा करने होंगे।
विदेशी उपभोक्ता की सूचना दें कंपनियां: क्लाउड सेवाएं दे रही कंपनियां अपने विदेशी उपभोक्ताओं की सूचना अमेरिकी सरकार को देंगी। ऐसा करके अत्याधुनिक तकनीकें विदेशों में और खासतौर पर चीन तक पहुंचने से रोकी जाएंगी। हाल में अमेरिका ने चीन को अत्याधुनिक चिप निर्यात रोका था, ताकि वह चैटजीपीटी जैसे एआई आधारित लैंग्वेज मॉडल तुरंत न बना सके।
राष्ट्रपति का आदेश लेकिन सीमित असर
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया है कि पहले से जारी एआई आधारित मॉडल जांच के लिए वापस नहीं लिए जा रहे हैं। यानी चैटजीपीटी, बार्ड, जीपीटी4, मेटा के मॉडल आदि पर फिलहाल कार्रवाई नहीं होगी। सभी आदेश लागू होने में 90 दिन तक लग सकते हैं। चूंकि कई आदेश वैश्विक स्तर पर काम कर रही अमेरिकी कंपनियों के जरिए लागू होने हैं, अमेरिका के बाहर इन्हें लागू करवाना अमेरिका के लिए आसान नहीं होगा। वह मित्र देशों को साथ लाने का प्रयास करेगा। बाइडन प्रशासन का कार्यकाल पूरा होने के बाद चूंकि यह आदेश निष्प्रभावी हो जाएंगे।
विनाशक हथियारों के लिए रोक: रासायनिक, जैविक, परमाणु व रेडियोलॉजिकल हथियारों के विकास में एआई के उपयोग के खतरे रोकने के लिए ऊर्जा विभाग और गृह सुरक्षा विभाग को निर्देश दिए गए हैं। वे साइबर सुरक्षा में भी एआई के उपयोग पर मानक बनाएंगे।
भेदभाव के खतरे बताए: मानव स्वभाव से जुड़े भेदभाव एआई एल्गोरिदम में भी घुसने से रोकने और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए निर्देश दिए गए हैं। एआई तकनीक का कैदियों को बेल देने, सजा देने, उनकी निगरानी, आदि में उपयोग होगा, लेकिन इसके प्रदर्शन का नियमित मूल्यांकन भी होगा।
खत्म होती नौकरियों पर रिपोर्ट: एआई की वजह से खत्म हो रही नौकरियों पर रिपोर्ट बनाने के निर्देश विभिन्न एजेंसियों को दिए गए। नया एआई शोध संस्थान विद्यार्थियों व व शोधकर्ताओं को इससे जुड़ी जानकारियां देगा।
यूरोपीय संघ भी ला चुका है कानून
इससे पहले यूरोपीय संघ एआई पर कानून के लिए ड्राफ्ट ला चुका है। चीन और इस्राइल ने भी कानून के प्रस्ताव पेश किए हैं। जल्द ब्रिटेन में विश्व के प्रमुख देश बैठक करने जा रहे हैं।
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