जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने चीन को चेतावनी दी है। जर्मनी यूरोप में बीजिंग द्वारा व्यापार करने के रास्ते को सीमित करने पर विचार कर रहा है। एंजेला ने कहा कि अगर चीन एक बड़ी शुरुआत प्रदान करने के लिए सहमत नहीं होता है तो वह यह कदम उठा सकते हैं।
चीन के साथ निवेश समझौते के लिए चीन से उम्मीद
मर्केल ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) के हवाले से कहा, “अगर कुछ क्षेत्रों के लिए चीन की ओर से कोई बाजार पहुंच नहीं है, तो निश्चित रूप से इस तथ्य पर भी ध्यान दिया जाएगा कि यूरोपीय बाजार में बाजार की पहुंच कम होगी। मर्केल यूरोपीय संघ के दो दिवसीय विशेष सम्मेलन के बाद ब्रसेल्स में शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, “हम स्वाभाविक रूप से चीन के साथ निवेश समझौते के लिए पारस्परिकता की उम्मीद करते हैं, लेकिन चीन के संबंध काफी दिक्कतें हैं, जिस पर आगे चर्चा की जाएगी’।
इससे पहले हांगकांग मुद्दे पर चीन की आलोचना
बता दें कि इससे पहले बुधवार को मर्केल ने हांगकांग में हाल के घटनाक्रमों के साथ मानवाधिकार मुद्दों पर चीन की आलोचना की थी। मर्केल ने बुधवार को जर्मन संसद बुंडेस्टाग को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी करते हुए कहा था कि चीन के लिए विकास की चुनौतियों को देखते हुए ये लक्ष्य वास्तव में महत्वाकांक्षी हैं और उन्हें हमारे वादों पर खरा उतरने के लिए यूरोप में भी हमें प्रेरणा प्रदान करनी चाहिए।
जर्मनी ने एशिया में अपने सबसे करीबी साझीदार चीन को बड़ा राजनयिक झटका दिया था। जर्मनी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोकतांत्रिक देशों के साथ भागीदारी मजबूत करने का फैसला बहुत सोच-समझकर किया है। दरअसल, इस क्षेत्र से बर्लिन के भी व्यापारिक, आर्थिक और सामरिक हित जुड़े हैं। इससे चीन खुद को घिरता हुआ महसूस करेगा और जर्मनी से नाराज होगा।
मानवाधिकारों पर चीन के ट्रैक रिकॉर्ड और एशियाई देशों पर अपनी आर्थिक निर्भरता को लेकर यूरोप की चिंताओं के मद्देनजर ही जर्मनी की नई हिंद-प्रशांत रणनीति सामने आई है। बर्लिन ने दो सितंबर को ही हिंद-प्रशांत रणनीति औपचारिक रूप से अपनाई है। समुद्री व्यापार मार्गों को चीन से सुरक्षित रखने की चिंता सबको है। जर्मनी भी इस पर विशेष जोर दे रहा है। जर्मनी के इस कदम का भारत, जापान, आस्ट्रेलिया और आशियान के सदस्य देशों ने समर्थन किया है।