मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ ग्रहण करने के तीन घंटों के भीतर ही किसानों की कर्जमाफी के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। मार्च 2018 तक 2 लाख रुपए कर्ज लेने वाले किसानों का लोन माफ हो जाएगा। इसके आदेश भी विभागों को मिल चुके हैं। किसान और विभाग दोनों असमंजस में हैं कि कर्ज माफ कैसे होगा, क्योंकि अभी तक इसकी गाइड लाइन ही नहीं आई है। सहकारी बैंक अफसरों ने जिला प्रशासन तक 2 लाख की सीमा वाले 30 हजार किसानों की जानकारी दी है। जिन्होंने लगभग 225 करोड़ का कर्ज लिया था।
सहकारी बैंक और नेशनल बैंक के कर्जदार किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ किया जाएगा। कर्ज माफी वाले किसानों की सूची सहकारी बैंक में तैयार की जाने लगी है। जिसके मुताबिक जबलपुर व कटनी जिले के 45 हजार किसानों में से 95 फीसदी किसानों को इस घोषणा का लाभ मिलेगा। क्योंकि अधिकांश किसानों ने 2 लाख या इससे कम राशि का कर्ज लिया है।
आधार नंबर से खातों का वेरीफिकेशन
सहकारी बैंक तक पहुंचे निर्देशों में प्रत्येक किसान समिति सदस्य का आधार नंबर भी लिया जाना है। आधार नंबर से यह पता चलेगा कि किसान ने सहकारी के अलावा कौन से नेशनल बैंक से कितना कर्ज ले रखा है। सहकारी बैंक अपने स्तर पर किसान समिति सदस्यों की सूची बना रहा है। नियम कहता है कि कर्जमाफी से पहले प्रत्येक खाते का वेरीफिकेशन भी अनिवार्य है। यह वेरीफिकेशन अधिकांश किसान कर्ज लेते समय करा लेते हैं। जिन किसानों के खातों का वेरीफिकेशन नहीं हुआ है, उन्हीं में बैंक प्रबंधन को मेहतन करनी है।
कुल इतना बकाया
कुल कर्जदार किसान- जबलपुर व कटनी जिला मिलाकर 45 हजार
कर्ज की बकाया राशि- लगभग 360 करोड़
2 लाख तक वाले किसान- लगभग 30 हजार किसान और कर्ज राशि 225 करोड़
उलझन में किसान और अफसर
– सहकारी व नेशनल बैंक से लिए अलग-अलग कर्ज में से कौन सा माफ होगा? इसका जवाब यह है कि सहकारी और नेशनल बैंक से भले ही किसान ने कितना ही लोन लिया हो, कुल 2 लाख रुपए तक का ही कर्ज माफ होगा।
– दूसरी समस्या यह है कि आदेश में 31 मार्च 2018 तक वाले किसानों का कर्ज माफ करने कहा गया। मार्च के बाद एक अप्रैल 2018 से अभी तक 80 करोड़ का कर्ज सहकारी बैंक से लगभग 16 हजार किसान ले चुके हैं। इन्हें बैंक ने डिफाल्टर नहीं माना है। इसलिए यह कर्ज माफ नहीं होगा। सिर्फ मार्च तक डिफाल्टर या कालातीत कर्ज ले चुके किसानों को ही लाभ मिलेगा।
रिजल्ट वाले दिन से किश्त नहीं चुका रहे किसान
दूसरी तरफ तथ्य यह है कि 11 दिसंबर को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया और उसी दिन यह साफ हो गया कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन रही है। इसके दूसरे दिन से ही सहकारी बैंक के अमले को किसी भी किसान ने बकाया नहीं चुकाया। किसानों से किश्त की राशि मिलना बंद हो गई। क्योंकि सभी किसान कर्जमाफी के इंतजार में थे।