निवर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष दिलीप पाण्डेय ने उमरिया जिले में बेतहाशा बढ़ रही रेत की कीमतों पर चिंता जाहिर की है। पहले जहां एक ट्रॉली रेत 1500-2000 रुपये में मिलती थी, अब इसकी कीमत 5000 रुपये तक पहुंच गई है। ठेकेदार मनमाने दाम वसूल रहे हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय लोग पक्के मकान बनाने में असमर्थ हो रहे हैं।
निवर्तमान जिला भाजपा अध्यक्ष दिलीप पाण्डेय ने जिले में हो रही बेतहासा रेत की मूल्य वृद्धि में चिंता जाहिर की है। रेत के बिना पक्के निर्माण कार्य संभव नहीं हैं। उमरिया जिला खनिज संसाधनों से सम्पन्न जिला है। यहां से निकलने वाली रेत रीवा शहडोल मैहर सतना तक जाती है। जिले में रेत का व्यवसाय करने वाले ठेकेदार इस समय चांदी काट रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे इनके लिए या इनके ऊपर कोई नियम कानून प्रभावी नहीं है। सब नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए रेत ठेकेदार जिले के जन मानस की जेब में खुलेआम डाका डाल रहे हैं। दिन प्रतिदिन बढ़ता रेत का रेट आम जन के पक्के माकान के सपनों को चकनाचूर कर रहा है।
गरीब आदमी की जेब रेत का रेट सुनकर ही दम तोड़ देती है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिती और ज्यादा खराब है। जिस क्षेत्र से रेत निकाली जाती है, वहां के निवासियों से ज्ञात होता है कि एक ट्राली रेत पहले 1500 से 2000 रु तक मिल जाता था। वहीं अब एक ट्राली रेत की कीमत 5000 है, जो कि पहले के मूल्य से दुगने पर मिल रही है। ग्रामीणों ने बताया कि रेत ठेकेदार के कर्मचारी अपने मन मुताबिक रेत बढ़ा कर रेत बेच रहे हैं। ये कारोबारी नियंत्रण विहीन हो चुके हैं। इनके नियंत्रक आंखों में पट्टी बांध कर आराम फरमा रहे हैं।
पाण्डेय जी ने कहा कि केंद्र की मोदी और प्रदेश की मोहन सरकार दृढ़ संकल्पित होकर गांव गरीब किसानों असहायों आवासहीनों के लिए कार्य कर रही है। जिसे कोई पूछता नहीं था ऐसे गरीबों को डबल इंजन की सरकार पूजती है। सब का अपना पक्का घर हो कोई बेघर न रहे सबका अपना आशियाना हो इसी दिव्य विचारों को दृष्टिगत करते हुए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना लाई गई। यह योजना गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवास योजना के सकारात्मक परिणाम स्पष्ट दिख रहे हैं, किंतु अब जिले में आसमान छूती रेत की कीमत से आवास योजना के हितग्राही बुरी तरह प्रभावित है।
रेत का मनमाना बढ़ता रेट जिले के हितग्राही मूलक योजनाओं पर कहर बनकर टूट रहा है। हितग्राहियों का कहना है कि पहले की अपेक्षा अब रेत तीन गुना ज्यादा रेट में मिल रही है। आवास योजना की एक क़िस्त केवल रेत के लिए होती है। ऐसे में हम आवास निर्माण पूरा नहीं कर पा रहे। उमरिया जिले के रेत कारोबारी सरकार की महत्वाकांक्षी आवास योजना हेतु अभिशाप बनते नजर आ रहे हैं।
उमरिया जिले के ग्रामीण अंचलों में भ्रमण करने से ज्ञात होता है कि व्यक्तिगत रूप से कराए जा रहे निर्माण कार्यों, हितग्राही मूलक कार्यों और ग्राम पंचायतों में चल रहे निर्माण कार्य आसमान छूती रेत की कीमतों की मार से जूझ रहे हैं। जो अर्थिक रूप से कमजोर है किसी तरह से अपना आशियाना बना रहा है। उसकी जेब में बढ़ता रेत का बोझ प्रसाशन के नियंत्रण से बाहर होते रेत कारोबारी जिले में एक बड़ी समस्या बन चुके हैं।
ग्राम पंचायत सरपंच सचिव भी इस पीड़ा से पीड़ित हैं। ऐसे में प्रसाशन को चाहिये कि कारोबारियों पर शिकंजा कसे, ताकि आवास योजना जैसी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं समय सीमा में पूरी हों। क्योंकि बढ़ते आर्थिक बोझ के कारण योजना के हितग्राही कार्य में प्रगति ही नहीं दे पा रहे हैं। प्रसाशन को यह भी ध्यान देना होगा कि रेत का कारोबार करने वाली कंपनी अपने निर्धारित सीमा में रहकर ही बालू का विक्रय करें। मिली लीज के अंदर ही रेत का उत्खनन होना चाहिए।
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