कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष फैसल लाला ने कहा कि सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव रामपुर का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।
यदि उन्होंने ऐसा करना जारी रखा तो यहां की जनता उनका पुरजोर विरोध करेगी। प्रेस को जारी विज्ञप्ति में उन्होंने कहा है कि सांसद आजम खां को बचाने के लिए मुलायम सिंह कितने ही प्रयास कर लें, लेकिन उन्हें जेल जाने से बचा नही पाएंगे।
जिस व्यक्ति पर चोरी, लूट, डकैती, गैर इरादतन हत्या, जमीन कब्जाने, भड़काऊ भाषण और उन्माद फैलाने सहित तमाम संगीन धाराओं में लगभग 80 मुकदमें दर्ज हो चुके हैं, उसे मुलायम सिंह यादव जैसे नेक इंसान का सर्टिफिकेट देना हैरतअंगेज है। इससे साफ जाहिर है कि समाजवाद का ढिंढोरा पीटने वाली समाजवादी पार्टी और उसके संरक्षक चोरों के हिमायती हैं।
कहा कि उन्होंने पिछले ढाई साल में जनहित के एक भी मुद्दे पर जनता की आवाज नहीं उठाई, लेकिन ढाई साल बाद अचानक वह आजम खां की हिमायत पर उतर आए। इससे लगता है कि वह भी उनके जुर्म में बराबर के शरीक हैं। समाजवादी पार्टी डूब चुकी है और आजम जैसे लोग अब इस देश की राजनीति में इतिहास बन चुके हैं।
मुलायम सिंह द्वारा आजम का बचाव राजनीतिक स्टंट
कांग्रेस नेता आसिम खां ने अपने बयान में कहा है कि सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव द्वारा ऐसे व्यक्ति को बचाने का प्रयास किया जा रहा है, जिस पर गरीबों की जमीन कब्जाने, किताबें व भैंस चोरी करने, डकैती की साजिश रचने और गरीबों पर जुुल्म करने के 76 मुकदमे लिखे जा चुके हैं। ऐसे व्यक्ति को उनके द्वारा ईमानदार की संज्ञा देने वाला बयान बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि 2012 से 2017 तक प्रदेश में उनकी सरकार थी और उस दौर में जो तांडव तत्कालीन मंत्री आजम खां ने मचाया था।
उन्होंने उस समय में बेइंतहा जुल्म गरीबों पर किए थे। तमाम फर्जी और झूठे मुकदमों में रामपुर के शरीफ लोगों और तमाम गरीबों पर दर्ज करा कर जेलों में ठूंसा गया था। गरीबो के घरों, जमीन व दुकानों पर बुलडोजर चलवाए गए थे। उस समय मुलायम सिहं कहां थे। उस समय उन्हें मासूम बच्चों, बहन-बेटियों और उनके मां-बाप की चीखें क्यों सुनाई नहीं दीं।
शहर के इज्जतदार लोंगों की बहनें, बेटियां, माताएं थानों के अंदर अपमानित होती रहीं, उनकी दर्द भरी कराहटें उनके कानों ने सुनकर भी अनसुनी कर दी थीं। आज जब पूर्व मंत्री की बहन को पुलिस थाने ले गई, तब उनकी नींद में खलल पड़ा। वह भी इसलिये कि उत्तर प्रदेश में 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। राजनीतिक लाभ लेने के लिये अब इसे मुद्दा बनाने की सोची समझी साजिश की जा रही है।