उधर पीलीभीत के सीएमओ को बचाया इधर आगरा के पारस अस्पताल को बचाया

अजब न्याय की गजब परिभाषा की बयार चल पड़ी है, शासन को यही नहीं पता चल पा रहा कि वरुण गांधी के संसदीय क्षेत्र पीलीभीत में पीएम केयर फंड से आये 16 वेंटिलेटर लगाए ही नहीं गए थे इस कोरोना महामारी में जिसके चलते कई ने वेंटिलेटर के अभाव में दम तोड़ दिया। सूत्रों के अनुसार मिली जानकारी के मुताबिक सीएमओ ऑफिस में पैसा नहीं दिया एजेंसी से चयनित वेंटिलेटर ऑपरेटरों ने इसलिये जॉइनिंग नहीं दी गई थी इन ऑपरेटरों को । परिणाम सैकड़ों लोग वेंटिलेटर के अभाव में दम तोड़ दिए।

….और तो और निर्दोष सीएमएस पीलीभीत को दंडित कर जिम्मेदार सीएमओ पीलीभीत को बचा लिया गया। वैसे वर्षों से जमे सीएमओ पीलीभीत शासन में अपनी मजबूत पकड़ के लिए ये जानी जाती हैं, जिसके चलते वो अपनी हर गलती का ठीकरा दूसरे अधिकारी पर फोड़ने व अपना साम्राज्य स्थापित करने में सफल रहती हैं।

मुख्यमंत्री योगी के संज्ञान में प्रकरण आने के बाद दोषियों पर कार्यवाही हुई तो और….और….और बुरा हुआ, शासन-प्रशासन की छवि जनमानस में और खराब करने वाली कार्यवाही कर दी शासन के अधिकारियों ने, प्रथम द्रष्टा दोषी सीएमओ डॉ सीमा अग्रवाल की जगह कोविड एल टू हॉस्पिटल की व्यवस्था से कोई संबंध न होने वाले सीएमएस जिला पुरुष चिकित्सालय पीलीभीत को ही निलम्बित कर दिया।

दूसरी तरफ आगरा के पारस हॉस्पिटल है जहां ऑक्सीजन की कमी से 22 मरीजों की मौत की बात इस हॉस्पिटल के मालिक डॉ अरिंजय जैन एक वायरल वीडियो में इस बात स्वीकार कर रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को जांच में सब कुछ आल इज वेल नजर आया। अब समझ मे नहीं आता इन 22 मरीजों की मौत का जिम्मेदार कौन है ?

आगरा के इस ( कु ) ख्यातिप्राप्त पारस हॉस्पिटल को गहन- गंभीर- गहरी जांच के बाद डीएम पीएनसिंह को कोई खामी नहीं मिली। जबकि इसके मालिक डॉ. अरिन्जय जैन वॉयरल वीडियो में खुद कह रहे थे कि ऑक्सीजन कमी के मॉकड्रिल की वजह से 22 मरीजों ने दम तोड़ दिया। पीलीभीत और आगरा दोनों जगह अधिकारियों के अनुसार आल इज वेल है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। दोनों जगह जिम्मेदार लोगों को बचाया जा रहा है। सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए।

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