वैदिक संस्कृति मे खगोलीय गणना के आधार पर तिथि और त्यौहारों को मनाया जाता है। शुभ- अशुभ का ज्ञान भी इसी आधार पर किया जाता है। भारतीय पंचाग के अनुसार एक वर्ष में 12 मास होते हैं। इस दौरान खरमास भी आता है, जिसमें शुभ कार्यों का निषेध बताया गया है।

खरमास उस वक्त आता है जब सूर्य धनु राशि में संक्रांति करते है यानी जब सूर्य का धनु राशि में गोचर होता है। इसलिए जब तक सूर्य मकर राशि में गोचर नहीं करते शुभ कार्य प्रारंभ नहीं होते हैं।
पंचाग के अनुसार यह समय सौर पोष मास का होता है जिसे खर मास कहा जाता है। मान्यता है कि इस मास में सूर्यदेव के रथ को घोड़ों की जगह गधे खींचते हैं।
इस कारण रथ की गति काफी मंद हो जाती है और सर्दी भी काफी तेज पड़ती है। उत्तर भारत में खरमास की मान्यता ज्यादा है। इस साल 16 दिसंबर को खरमास प्रारंभ हो रहा है।
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