उत्तराखंड मे नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर जताई चिंता- मुख्य न्यायाधीश

कौलागढ़ रोड स्थित ओएनजीसी के एमएन घोष सभागार में संकल्प नशा मुक्ति देवभूमि अभियान का शुभारंभ करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने उत्तराखंड में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए कहा कि इस पर न्यायपालिका, सरकार और समाज को साथ मिलकर काम करना होगा। 

उन्होंने मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश मे 40 फीसद लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं, जबकि युवाओं में हेरोइन, गांजा, भांग आदि की प्रवृति बढ़ती जा रही है। उत्तराखंड नशा मादक पदार्थों की सप्लाई का हब बनता जा रहा है, जो बेहद चिंतनीय है।

यहां पर 18.8 प्रतिशत लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं, जबकि 6.2 प्रतिशत लोग इंजेक्शन के द्वारा नशे का सेवन करते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि नैनीताल, अल्मोड़ा उधमसिंह नगर व देहरादून में स्थिति काफी गंभीर है।

एक बात और यहां नशा करने वाले सत्तर प्रतिशत लोग कमजोर तबके के हैं, जिनके पुनर्वास के लिए और नशा छुड़ाने के लिए सरकार को भी कदम बढ़ाना होगा। 

न्यायाधीश सुधांशु धूलिया ने नालसा की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि नशा दुनिया का पेट्रोलियम और हथियार के बाद तीसरा सबसे बड़ा कारोबार बन गया है।
उन्होंने कहा कि युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। इसलिए न्यायपालिका ने संकल्प नशा मुक्त देवभूमि अभियान की शुरुआत की है। जिसका असर दूरगामी होगा।

कार्यशाला में उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव उत्पल कुमार, जस्टिस लोकपाल सिंह, डीजीपी अनिल के रतूड़ी, जस्टिस यूसी ध्यानी, प्रमुख सचिव नितेश झा, पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार, एसएसपी देहरादून अरुण मोहन जोशी व अन्य मौजूद रहे।

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