उत्तराखंड में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण को लेकर भाजपा सक्रिय

उत्तराखंड में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर भले ही तिथि तय न हुई हो, लेकिन मशीनरी ने अगले वर्ष फरवरी से इसके प्रारंभ होने की उम्मीद में प्री-एसआइआर शुरू कर दिया है। इसी के साथ राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं। इस क्रम में भाजपा तैयारियों में जुट गई है। पार्टी ने सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में बीएलए-प्रथम नियुक्त कर दिए हैं। पार्टी ने तय किया है कि राज्य के सभी 11,733 पोलिंग बूथों के लिए 31 दिसंबर तक बीएलए-द्वितीय नियुक्त कर दिए जाएंगे।

राजनीतिक दलों के लिए एसआइआर की प्रक्रिया में बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) की महत्वपूर्ण भूमिका है। दलों के लिए चुनावी मशीनरी की यह सबसे निचली और महत्वपूर्ण कड़ी है। मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने में बीएलए अहम भूमिका निभाते हैं। वे घर-घर जाकर यह जांचते हैं कि किसी मतदाता का नाम सूची से छूटा तो नहीं है या किसी समर्थक मतदाता का नाम विलोपित तो नहीं हुआ है। बीएलए एक प्रकार से बूथ व क्षेत्र में राजनीतिक दलों का चेहरा भी होते हैं। मतदान प्रबंधन, बूथ प्रबंधन में भी बीएलए की भूमिका होती है।

इस सबको देखते हुए उत्तराखंड में भाजपा भी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री कुंदन परिहार के अनुसार पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक-एक सक्रिय कार्यकर्ता को बीएलए-प्रथम के रूप में नियुक्त कर दिया है।

उन्होंने बताया कि अब पोलिंग बूथों पर बीएलए-द्वितीय की नियुक्ति के लिए तेजी से कसरत चल रही है। भाजपा अभी तक 2876 बीएलए-द्वितीय नियुक्त कर चुकी है। उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर तक सभी बूथों पर बीएलए-द्वितीय की नियुक्ति कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बीएलए को एसआइआर के दृष्टिगत अपनी जिम्मेदारी को पूरी तन्मयता से निभाने के निर्देश दिए गए हैं।

बूथ जीता-चुनाव जीता रहा है मूलमंत्र
उत्तराखंड में भाजपा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से अब तक विजय रथ पर सवार है। प्रत्येक चुनाव में वह परचम फहराती आई है तो इसके पीछे उसकी बूथ जीता-चुनाव जीता की रणनीति मुख्य रही है। पार्टी ने बूथ स्तर तक अपनी इकाइयां गठित की हैं और चुनाव के दौरान वह प्रत्येक बूथ पर पन्ना प्रमुख नियुक्त करती है।

किसी भी बूथ की मतदाता सूची के अलग-अलग पृष्ठ की जिम्मेदारी एक-एक वरिष्ठ कार्यकर्ता को दी जाती है। इन्हें पन्ना प्रमुख कहा जाता है, जो अपने पृष्ठ के मतदाताओं की चिंता करता है। इस दृष्टिकोण से भी भाजपा एसआइआर को लेकर अधिक गंभीर है।

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