इसे नए पंचायतीराज एक्ट के प्रावधानों का असर कहें या कुछ और। बात चाहे जो भी, लेकिन इतना तय है कि इस बार ग्राम पंचायत सदस्य के 25 हजार से अधिक पद रिक्त रहेंगे। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्य पदों के लिए हुए नामांकन तो यही तस्वीर बयां कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत सदस्य के कुल 55574 पदों के सापेक्ष 30752 उम्मीदवारों ने ही नामांकन पत्र दाखिल किए। इनमें भी 27 सितंबर तक चलने वाली जांच प्रक्रिया में कई नामांकन पत्र निरस्त भी हो सकते हैं।
हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन की तस्वीर साफ होने से ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है।
ऊधमसिंहनगर जिले को छोड़ अन्य जिलों में कहीं भी ग्राम पंचायत सदस्य कुल पदों के बराबर भी नामांकन पत्र दाखिल नहीं हुए। ऐसे में ग्राम पंचायत सदस्य के 25 हजार से ज्यादा पद खाली रहना तय है।
पंचायतीराज एक्ट में शैक्षिक योग्यता की शर्त के कारण इन पदों के लिए नामांकन नहीं हो पाए। इन पदों पर सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए शैक्षिक योग्यता दसवीं और अन्य के लिए आठवीं पास रखी गई है। इसके अलावा कई ग्राम पंचायतों में आरक्षण के मुताबिक उम्मीदवार नहीं मिल पाए। ये बात भी सामने आ रही कि कई ग्राम पंचायतों में तो कोरम तक पूरा नहीं हो पाएगा।
अलबत्ता, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पदों पर बड़ी संख्या में नामांकन हुए हैं। ग्राम प्रधान के 7485 पदों के लिए 24842, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 2984 पदों पर 11886 और जिला पंचायत सदस्य के 356 पदों के लिए 2241 प्रत्याशियों ने पर्चे दाखिल किए हैं। उधर,नामांकन पत्रों की जांच भी शुरू हो गई है, जो 27 सितंबर तक चलेगी। इसके बाद ही सभी पदों पर किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों की सही तस्वीर सामने आएगी।
एक एक्ट और चुनाव में व्यवस्थाएं दो
हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस मर्तबा अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है। पंचायतीराज एक्ट एक और चुनाव लड़ने के लिए प्रावधान दो तरह के।
ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्यों के पदों पर दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को चुनाव लड़ने की छूट दी गई है, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए यह प्रावधान अमल में नहीं आ पाया है। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य और क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्य पदों पर अर्हता के मानक अलग-अलग हैं।
राज्य सरकार ने पंचायतीराज एक्ट में प्रावधान किया कि सिर्फ दो बच्चों वाले लोग ही पंचायत चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। इस मामले को कुछ लोगों ने अदालत में चुनौती दी। अदालत ने साफ किया कि इस संशोधन को लागू करने की कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 होगी। यानी इस तारीख के बाद दो से अधिक बच्चे वाले प्रत्याशी पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य माने जाएंगे।
अलबत्ता, 25 जुलाई 2019 से पहले जिनकेतीन बच्चे हैं, वे चुनाव लड़ सकते हैं। सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, मगर वहां से उसे स्थगनादेश नहीं मिल पाया। सरकार की ओर से हाईकोर्ट के आदेश को ग्रामप्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य पदों के लिए अमल में लाया गया है। क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए सरकार ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है।
अवैध कब्जाधारियों के नामांकन होंगे रद
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान ऊधमसिंहनगर समेत अन्य जिलों में ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं कि अवैध रूप से सरकारी भूमि पर कब्जा करने वाले कई उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं। एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है कि ऐसे प्रत्याशी चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होंगे। माना जा रहा कि नामांकन पत्रों की जांच में इनके नामांकन रद कर दिए जाएंगे।
जिपं अध्यक्ष पदों पर आरक्षण निर्धारण को कसरत
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों पर आरक्षण को लेकर शासन स्तर पर कसरत शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि तीन-चार दिन के भीतर जिपं अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण का निर्धारण कर दिया जाएगा। क्षेत्र पंचायत प्रमुख पदों के लिए पहले ही आरक्षण तय किया जा चुका है।