उत्तराखंड में आयुर्वेदिक नर्स और फार्मासिस्ट बनना एलोपैथी से भी ज्यादा कठिन हो गया है। इससे कला वर्ग से पढ़ाई करने वाले राज्य के हजारों युवा हेल्थ और वेलनेस के क्षेत्र में करिअर नहीं बना पा रहे हैं। एलोपैथी यानी स्वास्थ्य विभाग की नियमावली के अनुसार स्टाफ नर्स बनने के लिए बेसिक योग्यता इंटरमीडिएट है।
इसका मतलब है कि युवा किसी भी विषय से इंटर पास हो तो वह स्टाफ नर्स का कोर्स कर सकता है। इसी तरह फार्मासिस्ट का डिप्लोमा के लिए साइंस स्ट्रीम के साथ ही गणित से इंटरमीडिएट का विकल्प भी खुला है। दूसरी ओर आयुर्वेद में नर्सिंग का डिप्लोमा केवल वही युवा कर सकते हैं जिन्होंने इंटरमीडिएट ‘बायोलॉजी’ से किया हो।
फार्मासिस्ट का डिप्लोमा करने के लिए बायोलॉजी से इंटर पास होना अनिवार्य है। आयुर्वेद के इन नियमों की वजह से कला वर्ग से पढ़े युवा वेलनेस के क्षेत्र में करिअर नहीं बना पा रहे। नर्स के लिए पहले आयुर्वेद और एलोपैथी में मानक समान थे। बाद में जरूरत को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने नियमावली में बदलाव किया। जबकि आयुर्वेद में अब भी पुराने ही नियम चल रहे हैं।
पंचकर्म टेक्निशियन बनना भी मुश्किल : आयुर्वेद विभाग में युवा पंचकर्म सहायक या टेक्निशियन भी नहीं बन पा रहे हैं। इस कोर्स के लिए भी इंटरमीडिएट बायोलॉजी की अनिवार्यता रखी गई है। जबकि डॉक्टर में देखरेख में होने वाले पंचकर्म में सहायक का काम कला वर्ग से इंटर पास करने वाला युवा भी कर सकता है।
उत्तराखंड में 2020 में होनी है वेलनेस समिट
उत्तराखंड सरकार वेलनेस टूरिज्म पर फोकस कर रही है। इसके तहत वर्ष 2020 में उत्तराखंड में वेलनेस समिट होने जा रहा है। इसकी तैयारी के लिए इन दिनों सिंगापुर में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। दुनियाभर के निवेशकों को उत्तराखंड में वेलनेस सेक्टर में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। सरकार इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ाना चाहती है। लेकिन कड़े नियमों की वजह से युवा कोर्स ही नहीं कर पा रहे हैं।