46वीं वाहिनी पीएसी में बड़ी मूछें रखने पर प्रतिबंध लगाने के मामले में एक नया मोड़ आया है। जिसमें सेनानायक के अनुसार वाहिनी से आदेश जारी हुआ है, लेकिन आदेश में उनकी जगह वाहिनी में तैनात उस सूबेदार मेजर (एसएम) के हस्ताक्षर हैं, जिसे उन्होंने मौखिक आदेश दिया था। फिलहाल मूछों के इस बखेड़े में सूबेदार मेजर से जांच तलब की गई है। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उनके खिलाफ जांच के आदेश जारी किए जाएंगे।
गुरुवार को 46वीं वाहिनी पीएसी के सेनानायक द्वारा पीएसी में तैनात जवानों की बड़ी मूछों पर प्रतिबंध लगाने का एक आदेश जारी हुआ था। आदेश सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पीएसी और पुलिस विभाग में सनसनी फैल गई। हालांकि मामले में सेनानायक सुखवीर सिंह का कहना था कि वाहिनी के एक सेनानायक को मौखिक आदेश जवानों को देने के निर्देश दिए गए थे, लिखित आदेश जारी नहीं किया गया था। सेनानायक की पड़ताल में पता चला कि मौखिक आदेश को वाहिनी के सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह नेगी ने अपने हस्ताक्षर करने के बाद जारी कर दिया था।
फोर्स में दाढ़ी के लिए लेनी होती है अनुमति, मूछों के लिए नहीं
फोर्स में जवानों या अधिकारियों को दाढ़ी रखने पर विभागीय अनुमति लेनी होती है, लेकिन मूछों के लिए अनुमति लेने का प्रावधान नहीं है और न इस पर प्रतिबंध है। इसके बाद भी 46वीं वाहिनी पीएसी में बड़ी मूछों पर प्रतिबंधित का आदेश पूरे पुलिस महकमे में चर्चाओं में रहा। हालांकि सेनानायक सुखवीर सिंह का कहना है कि उन्होंने मानक के अनुरूप मूछें रखने के लिए कहा था।
यूपी में मिलता है मूंछों के रखरखाव को भत्ता
एक ओर जहां 46वीं वाहिनी पीएसी में बड़ी मूछों पर प्रतिबंध के आदेश ने पूरे पुलिस महकमे में सनसनी फैला दी वहीं यूपी में पुलिस, पीएसी कर्मियों को मूछों के रखरखाव के लिए विशेष भत्ता दिया जाता है। 70 के दशक में भत्ते की राशि 50 रुपये थी जिसे बढ़ाकर 250 रुपये किया गया है।
गैरहाजिर रहने पर चार माह पूर्व एक जवान को निलंबित किया गया था। बुधवार को जवान वाहिनी में पेश होने आया और इस दौरान उसकी अटपटी मूछें देखने के बाद सूबेदार मेजर (एसएम) राजेंद्र को मौखिक रूप से सभी जवानों को मानक के अनुरूप मूछें रखने के आदेश देने को कहा गया था, लेकिन एसएम ने आदेश को लिखित रूप में बनाया और उस पर खुद के हस्ताक्षर कर जारी कर दिया। इस लापरवाही पर एसएम को जांच तलब किया गया है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।