ये हफ्ते भर (15 फरवरी) पहले की बात है जब सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से चार लाख मूल्य के 2000 रुपए के नकली नोट जब्त किए थे. बीएसएफ ने नकली नोटों के एक तस्कर से मिली सूचना के आधार पर यह कार्रवाई की थी.
वैसे सबसे चिंता की बात यह है कि इन नकली नोटों में 2000 रुपए के नोट कई फीचर हैं. ये असली जैसे ही दिखते हैं. पहली नजर में असली और नकली नोटों में फर्क करना मुश्किल हो जाता है.
एनडीटीवी के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में मालदा और बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में बीएसएफ कुछ तस्कर को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन सरगना उनकी गिरफ्त से बाहर है. 15 फरवरी को चुरियंतपुर सीमा चौकी के पास 2000 रुपए के 200 नोट जब्त किए गए थे. 19 फरवरी को ही 96 नोट नेशनल हाईवे पर जब्त किए गए. ऐसे में सवाल उठता है कि इन इलाकों में ही नकली नोटों की तस्करी क्यों हो रही है? इनके पीछे किनका हाथ है?
तस्करी का तरीका
दरअसल, कालीचक बॉर्डर के पास मालदा और नवाबजंग जिलों के इलाके नोट तस्करों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है. ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म की तर्ज पर बांग्लादेश के तस्कर नोटों के पैकेट को वहां फेंक देते हैं और फिर आगे का काम कूरियर के जिम्मे होता है. दिलचस्प बात यह है कि ‘उड़ता पंजाब’ मूवी में भी ड्रग्स की तस्करी को कुछ इसी अंदाज में दिखाया गया है.
सरहद के पास वाले गांव सुशानी और चुरियंतपुर को नकली नोटों के स्मगलर पनाह के लिए इस्तेमाल करते हैं. यदि कभी कूरियर दूसरे इलाकों से आते हैं तो गांव के कुछ लोग उनको इस काम में मदद भी करते हैं. यदि ये कूरियर रात में पहुंचते हैं तो झाड़ियों और जंगलों में उनके छुपने का इंतजाम किया जाता है.
अब इस कूरियर की जिम्मेदारी होती है कि इन नोटों को वह 13 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे और 40 किलोमीटर दूर फरक्का स्टेशन तक पहुंचाएं.
पिस रहे हैं गांववाले
कभी-कभी तो तस्कर बीएसएफ की आंखों में धूल झोंक बिना किसी जांच के आसानी से बॉर्डर को पार करते हैं. यहां उनके लिए बेहद आसान है कि वे बांग्लादेश के नकली नोटों के पैकेट को ले भारत के इलाकों में ले आएं.
सुशानी के ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर उन्हें यह काम दबाव में करना पड़ता है. वे लोग तस्करों और बीएसएफ के बीच पिस रहे हैं. उनका कहना है कि तस्कर उन्हें इस काम में मदद करने के लिए धमकाते हैं. उन्हें (ग्रामीणों) कहा जाता है कि यदि उन्होंने मदद नहीं की तो वे बीएसएफ से शिकायत कर फंसवा देंगे. यहां तक घर के पास नोटों को गिराकर इस जंजाल में फंसा देंगे. वे (तस्कर) तो नोट फेंककर भाग जाते हैं, उल्टे बीएसएफ वाले उन लोगों को पकड़ती है, जिनके घर नकली नोट मिलते हैं.
बीएसएफ की बढ़ी सिरदर्दी
ऐसे में बीएसएफ की भी सिरदर्दी बढ़ गई है. अभी तक कई तस्कर उनकी गिरफ्त से बाहर है. दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के उप महानिरीक्षक(जनसंपर्क) आर.पी.एस. जायसवाल ने बताया था कि जवानों के दल ने इलाके की गहन तलाशी ली और सफेद पॉलिथिन में लिपटा एक पैकेट बरामद किया. इसमें 2000 रुपये के 100 नोट थे, ये बांग्लादेश सीमा की तरफ से फेंके गए थे. तस्कर नकली नोटों की खेप की तस्करी का प्रयास कर रहे हैं. ये नोट पुलिस और एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की ओर से हाल में जब्त किए गए नोटों की तरह हैं.
बीएसएफ अधिकारियों को नकली नोटों के तस्कर उमर फारूक से जानकारी मिली थी कि सीमा पर बांग्लादेश की तरफ से नकली नोट लाए जा रहे हैं. उमर को गोपालगंज के मालदा जिले से एक दिन पहले गिरफ्तार किया गया था.