उज्जैन: दत्त अखाड़ा घाट पर प्रथम किरण के साथ सूर्य को अर्घ्य देकर नववर्ष का स्वागत, सीएम रहे मौजूद

भारतीय नववर्ष का स्वागत दत्त अखाड़ा शिप्रा तट पर किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और वैदिक मंगलाचरण से हुआ। साधु-संतों की उपस्थिति में मां क्षिप्रा का पंचामृत पूजन और सौभाग्य सामग्री अर्पित की गई। प्रातः 6:21 बजे सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ किया गया।

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी अनुष्ठान मंडपम ज्योतिष अकादमी नवसंवत्सर अभिनंदन समारोह समिति और अनुषठान मंडपम ज्योतिष अकादमी ने प्रातः 5.30 बजे दत्त अखाड़ा शिप्रा तट पर भारतीय नववर्ष का अभिनंदन किया। दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम शुभारंभ हुआ। उसके बाद वैदिक विद्वानों ने मंगलाचरण किया। साधु संतों के सानिध्य में मां क्षिप्रा का पंचामृत पूजन कर सौभाग्य सामग्री अर्पित की गई। प्रातः 6.21 पर सूर्य की प्रथम किरण को अर्घ्य देकर और आदित्यहृदय स्त्रोत्र के पाठ से भगवान सूर्य को विशेष पूजन किया गया। महिलाओं की ओर से गुड़ी और धर्म ध्वज का पूजन किया। उसके बाद वही ध्वज भगवान महाकाल के शिखर पर लगाया गया।

संतों के आशीर्वचन के साथ नीम एवं मिश्री का प्रसाद वितरण कर कार्यक्रम का समापन हुआ। इस दौरान आयोजन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, समिति के ज्यो. पं. चंदन श्यामनारायण व्यास, पं. नारायण उपाध्याय धर्माधिकारी, पं. वासुदेव पुरोहित के साथ बड़ी संख्या में शहरवासी उपस्थित रहे। इस दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मीडिया से कहा कि नववर्ष प्रतिपदा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज हमने सम्राट विक्रमादित्य के ध्वज का लोकार्पण भी किया है। मेरी ओर से सभी प्रदेशवासियों को हिंदू नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाई। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारा भारत और प्रदेश इसी तरह आगे बढ़ता रहे बस यही मंगल कामना।

मुख्यमंत्री ने किया मां शिप्रा का पूजन अर्चन, देवदर्शन कर साधु संतों और श्रद्धालुओं से मुलाकात की
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय नववर्ष के उपलक्ष पर दत्त अखाड़ा में पीठाधीश संत श्री सुंदरपुरी महाराज से आशीर्वाद लिया और सत्संग किया। दत्त अखाड़ा के पीठाधीश संत सुंदरपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री का शॉल पहनाकर स्वागत कर आशीर्वाद दिया और संत श्री ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव से कहा की यह हिंदू नव वर्ष ही वास्तव मे प्रकृति का नव वर्ष है, जिसमें प्रकृति नवश्रंगार करती है। पेड़ पौधों मे नवीन पत्ते आते है, प्रकृति में उत्साह, नव संचार का प्रवाह होता है।

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