खेल को सुरक्षित बनाने की कवायद में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समिति (आइसीसी) लगी हुई है। इसी कड़ी में वो सिर में चोट लगने के कारण बेहोशी की स्थिति में स्थानापन्न (substitute) खिलाड़ी रखने की शुरुआत अगले महीने एशेज सीरीज के दौरान कर सकती है। इसके बाद इसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अन्य प्रारूपों में लागू किया जा सकता है।
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिल ह्यूज की दर्दनाक मौत के बाद से ही आइसीसी के लिए किसी खिलाड़ी के बेहोश होने पर स्थानापन्न खिलाड़ी रखने का मसला मुख्य विषय बना हुआ है। ह्यूज नवंबर 2014 में शैफील्ड शील्ड मैच के दौरान सिर में चोट लगने से घायल हो गए थे और बाद में उनकी मौत हो गई थी।
यह मसला लंदन में चल रहे आइसीसी वार्षिक सम्मेलन के एजेंडा में शामिल है तथा खेल की परिस्थितियों में बदलाव को मंजूरी देकर उन्हें तुरंत प्रभाव से लागू किया जा सकता है, ताकि एशेज सीरीज से शुरू होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के मैच सुरक्षा के इन्हीं नियमों के तहत खेले जा सकें।
आइसीसी ने 2017 में घरेलू स्तर पर परीक्षण के तौर पर सिर में लगने वाली चोट से बेहोशी आने पर स्थानापन्न खिलाड़ी उतारने की शुरुआत की थी। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने 2016-17 सत्र से पुरुष और महिला वनडे कप और बीबीएल तथा महिला बीबीएल में इस तरह के स्थानापन्न खिलाड़ी उतारने की व्यवस्था की थी, लेकिन शैफील्ड शील्ड में इसे लागू करने के लिए उसे मई 2017 तक आइसीसी की मंजूरी का इंतजार करना पड़ा था।
इस साल के शुरू में श्रीलंका के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान कुशल मेंडिस और दिमुथ करुणारत्ने दोनों के सिर पर गेंद से चोट लगी थी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था और केवल करुणारत्ने को ही आगे खेलने की अनुमति दी गई थी।